India News (इंडिया न्यूज), Life Story of Azim Premji: भारत के सबसे प्रेरणादायक बिजनेसमैन में से एक, अजीम प्रेमजी की कहानी कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और परोपकार का अद्वितीय उदाहरण है। उनका सफर न केवल व्यापारिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक योगदान के लिए भी बेहद सराहनीय है। आइए, उनकी जिंदगी के प्रमुख पहलुओं पर नजर डालते हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक संघर्ष
अजीम प्रेमजी के बड़े भाई फारुख प्रेमजी पिता मोहम्मद प्रेमजी के साथ तेल के कारोबार में मदद कर रहे थे। लेकिन, 1965 में फारुख प्रेमजी शादी के बाद पाकिस्तान चले गए। इस घटना के एक साल बाद मोहम्मद प्रेमजी का निधन हो गया। उस समय अजीम प्रेमजी अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत लौटना पड़ा।
कर्ज में डूबी कंपनी का पुनर्निर्माण
भारत लौटने पर अजीम प्रेमजी ने अपने पिता के तेल कारोबार की जिम्मेदारी संभाली। उस वक्त कंपनी भारी कर्ज में डूबी हुई थी। लेकिन, अजीम प्रेमजी ने अपनी मेहनत और नेतृत्व कौशल से न केवल कंपनी को संकट से उबारा, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने इंजीनियरिंग और बॉडी केयर जैसे सेक्टर में भी कई नए उत्पाद लॉन्च किए, जिससे कंपनी की स्थिति मजबूत हुई।
आईटी सेक्टर में क्रांति की शुरुआत
1977 में अजीम प्रेमजी ने एक साहसिक कदम उठाते हुए अपने पिता की विरासत में मिले तेल कारोबार को नई दिशा देने का निर्णय लिया। उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर विप्रो रखा और भारत में उभरते कंप्यूटर उद्योग की संभावनाओं को पहचाना।
1980 के दशक में उन्होंने विप्रो को कंप्यूटर हार्डवेयर और बाद में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की ओर मोड़ दिया। उनका यह फैसला दूरदर्शी साबित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
अजीम प्रेमजी की दूरदृष्टि और नेतृत्व ने विप्रो को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई। इंटरनेशनल कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर उन्होंने विप्रो को एक वैश्विक आईटी दिग्गज बना दिया। वर्तमान में विप्रो का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3 ट्रिलियन रुपये (तीन खरब रुपये) है।
दौलत और परोपकार
फोर्ब्स के अनुसार, अजीम प्रेमजी की कुल संपत्ति 12.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो उन्हें भारत के सबसे अमीर मुस्लिम बिजनेसमैन और देश के 19वें सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में स्थापित करती है। हालांकि, उनकी असली पहचान उनकी उदारता में है।
अजीम प्रेमजी परोपकार के मामले में भी एक मिसाल हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दान कर दिया है। उनकी अजीम प्रेमजी फाउंडेशन भारत में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत है।
अजीम प्रेमजी की कहानी हमें सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे मेहनत और दूरदृष्टि से सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने न केवल व्यापारिक सफलता प्राप्त की बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझा और निभाया।
उनकी जिंदगी इस बात का प्रतीक है कि सच्ची सफलता केवल धन कमाने में नहीं, बल्कि उसे सही दिशा में उपयोग करने में है। अजीम प्रेमजी का नाम आने वाले कई दशकों तक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।