India News (इंडिया न्यूज), Meteorite Crash on Earth: पिछले साल जुलाई में एक दोपहर जो वेलिडेम और उनकी पार्टनर लॉरा केली अपने कुत्तों को घुमाने के लिए निकले थे। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वापस लौटने पर उन्हें एक अनोखी ब्रह्मांडीय घटना का सामना करना पड़ेगा। घर के आसपास सड़क पर मलबा बिखरा हुआ था। तभी पड़ोसियों ने विस्फोट की सूचना दी, तो वेलिडेम ने सुरक्षा कैमरे की फुटेज चेक की। डोरबेल कैमरे में रिकॉर्ड हुए वीडियो में दिखा कि घर के बाहर उल्कापिंड गिरा है। अंतरिक्ष से उल्कापिंड गिरने का चौंकाने वाला नजारा पहली बार ऑडियो के साथ कैद किया गया है।

बाल-बाल बचे लोग

वेलिडेम ने कहा, ‘जब हमने देखा कि सड़क मलबे से भरी हुई थी तो हम चौंक गए। हर जगह पत्थर बिखरे हुए थे। पहले तो हमें समझ में नहीं आया कि यह कैसे हुआ।’ शुरू में उन्हें लगा कि यह छत से गिरा मलबा है और उन्होंने इसे साफ करना शुरू कर दिया। केली के माता-पिता पास में ही रहते हैं जिन्होंने बताया कि उन्होंने जोरदार विस्फोट की आवाज सुनी थी।

उन्होंने कहा कि शायद यहां उल्कापिंड गिरा है! जब वेलिडेम ने अपने घर के सुरक्षा कैमरे की फुटेज देखी, तो इस बात की पुष्टि हो गई कि वाकई उनके घर के पास उल्कापिंड गिरा है।

उल्कापिंड गिरने का वीडियो देखें

वेलिडम ने बताया कि वह इस घटना में बाल-बाल बच गए। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं उस जगह पर एक या दो मिनट और खड़ा रहता तो यह उल्कापिंड निश्चित रूप से मुझसे टकराता और मेरी जान जा सकती थी। यह बहुत तेजी से गिरा और ईंटों से बने रास्ते पर गड्ढा बन गया।’

उल्कापिंड गिरने का ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड किया गया

अल्बर्टा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और उल्कापिंड संग्रह के क्यूरेटर क्रिस हर्ड ने कहा, ‘यह पहली बार है कि पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंड की पूरी आवाज और वीडियो एक साथ रिकॉर्ड किया गया है। मैंने पहले भी उल्कापिंड की आवाज सुनी है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि आपने इसे एक ही समय में सतह से टकराते, टूटते और आवाज सुनते देखा हो।’

कहां से आया यह उल्कापिंड?

हर्ड ने बताया कि यह उल्कापिंड ‘साधारण चोंड्राइट’ प्रकार का था, जो पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंडों के सबसे आम प्रकारों में से एक है। यह छोटे गोल सिलिकेट खनिजों, जैसे ओलिवाइन और पाइरोक्सिन के कणों से बना होता है। हर्ड का मानना ​​है कि यह उल्कापिंड मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित क्षुद्रग्रह बेल्ट से आया होगा।

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यह उल्कापिंड अंतरिक्ष की ठंडी गहराइयों से हजारों मील प्रति घंटे की गति से यात्रा करते हुए पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया होगा। वायुमंडल में गर्मी के कारण इसका कुछ हिस्सा टूट गया होगा। उल्कापिंड का आकार गोल्फ की गेंद और बेसबॉल के बीच का था। नासा के मुताबिक, हर दिन पृथ्वी पर लगभग 48 टन उल्कापिंड पदार्थ गिरता है। इसके इंसानों से टकराने की संभावना बहुत कम है। उल्कापिंड ज्यादातर पानी में गिरते हैं, क्योंकि पृथ्वी का 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है।

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