India News (इंडिया न्यूज़), MP Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में अभी वक्त है। ऐसे में तमाम सर्वे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की वापसी की बात कह रहे हैं, तो कई सर्वे कांग्रेस की वापसी और कांटे की टक्कर बता रहे हैं। सट्टा बाजार भी कांग्रेस की धमाकेदार जीत पर दांव लगा रहा है। सटोरियों को उम्मीद है कि इस चुनाव में कांग्रेस लगभग 120 से अधिक सीटें हासिल करेगी। यह खबर ऐसे समय सामने आई है, जब विधानसभा चुनाव को लेकर एक निजी चैनल का ताजा सर्वे आया है। इस सर्वे में कांग्रेस को 118-128 सीटें मिलते दिख रही हैं। बीजेपी को 102-110 और अन्य को 0-2 सीटें दी गई हैं।
सट्टेबाजों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सट्टा या अवैध बाजार में कारोबार करीब 40-50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सवाल उठता है कि सटोरियों को आखिर कांग्रेस की इतनी तगड़ी जीत पर कैसे भरोसा है। प्रदेश की पुलिस को भी इस बात का आभास हो चला है। ऐसे में अगर प्रदेश की पुलिस सक्रिय नहीं हुई तो आने वाले दो महीने सटोरियों के लिए चांदी काटने वाले होंगे। अगले दो महीनों में जहां दुनिया भर में क्रिकेट वर्ल्ड कप की खुमारी छाई रहेगी वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव में जनता और नेता लगे रहेंगे।
सूत्रों की मानी जाए तो मध्य प्रदेश पुलिस भी अलर्ट पर है, पुलिस मुख्यालय जल्द ही इसे लेकर सभी पुलिस अधीक्षकों को सख्त निर्देश जारी कर सकता है। क्राइम ब्रांच की यूनिट के साथ ही स्थानीय थाना पुलिस को सट्टोरियों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए जाएंगे। प्रदेश में इन दिनों ऑनलाइन क्रिकेट का सट्टा भी चल रहा है। वहीं चुनाव को लेकर भी ऑनलाइन सट्टा लगने का आसार बनते जा रहे हैं। दोनों एक साथ होने के चलते करोड़ों का सट्टा लगाए जाने की सुगबुगाहट हो चली है।
मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में भी विधानसभा चुनाव को लेकर नंबवर और दिसंबर से सबसे ज्यादा सट्टा लगाए जाने की आशंका बनी हुई है। दिसंबर में पांच राज्यों में मतगणना होने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान उम्मीदवारों की हार-जीत के अलावा किस दल की सरकार बनेगी, इस पर भी सट्टा लगेगा। आईजी से लेकर पुलिस अधीक्षक तक को सटोरियों को लेकर लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश पुलिस मुख्यालय से दिए जा सकते हैं। पुलिस भी हाईटेक तरीके से इन सटोरियों को पकडने के प्रयास इस बार कर सकती है।
दरअसल पुलिस को एक लंबे अर्से से सट्टे के मामले में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। कभी-कभार फुटपाथ पर बैठकर पट्टी लिखने वालों को पकड़कर मुचलके पर छोड़ दिया जाता है, जबकि सट्टे का कारोबार सिर्फ फुटपाथ तक ही सीमित नहीं है। बड़े-बड़े रसूखदारों का इसमें बड़ी भूमिका है। सटोरियों पर कार्रवाई न हो पाने के पीछे पुलिस की कमजोर कड़ी कुछ पुलिसकर्मी ही बताए जाते है। मैदानी अमले से जुड़े पुलिस कर्मचारियों की सटोरियों से अच्छी खासी मिलीभगत है। उन्हीं के माध्यम से सटोरिए धंधा चलाने के एवज में थाने को मालामाल कर रहे हैं।
सालाना आपराधिक रिकार्ड की यदि बात की जाए तो सट्टे के मामले में गिने-चुने ही केस दर्ज किए गए हैं, अधिकांश केस थाने के बाहर ही निपटा दिए जाते है। सट्टे के इस अवैध कारोबार ने मध्यम वर्ग के युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जो कुछ पैसों से अधिक पैसे बनाने के लालच में आकर रोजाना अपनी थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी सट्टे पर उड़ेल रहे हैं। यहां तक की दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला मजदूर भी रोज की कमाई का कुछ हिस्सा सट्टे में लगाकर अपने व परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है।
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