India News (इंडिया न्यूज़), Munshi Premchand Quotes: मुंशी प्रेमचंद द्वारा हिंदी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया गया है। उनके द्वारा लिखी गबन, गोदान, निर्मला, मानसरोवर, कफन आदि किताबें बहुत प्रसिद्ध है। हिंदी जैसे खूबसूत विषय पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा अपनी अमिट छाप छोड़ी गई है। परंतु, हिंदी लेखक के साथ ही वे नाटककार, साहित्यकार, उपन्यासकार प्रतिभा के भी धनी रहे।

हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार तथा उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था। उनकी मृत्यु 08 अक्टूबर 1936 को हुई। आज मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके अनमोल विचार। उनके ये विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत का जरिया है।

  • लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है,
    अनुराग है, लगन है, विचार है. जिन्होंने धन और
    भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया,
    वह क्या लिखेंगे?”

महान लेखक प्रेमचंद की प्रारम्भिक शिक्षा 7 वर्ष की उम्र में एक स्थानीय मदरसे से शुरू हुई। यहां उन्होंने हिन्दी के साथ उर्दू और अंग्रेजी की अच्छी शिक्षा प्राप्त की। साल 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, प्रारम्भ में वे कुछ वर्षों तक स्कूल में अध्यापक रहे। उन्होंने नौकरी और पढ़ाई एक साथ जारी रखी। 1910 में दर्शन, अंग्रेज़ी, फ़ारसी और इतिहास लेकर इण्टर किया। वहीं 1919 में अंग्रेजी, फ़ारसी और इतिहास लेकर बी. ए. किया। बी.ए पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के सब-डिप्टी इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।

  • जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है
    उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है.
  • विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है.
    पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है.
  • मैं एक मज़दूर हूं, जिस दिन कुछ लिख न लूं,
    उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं.

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