India News (इंडिया न्यूज), Most Dangerous Plant: क्या आप जानते हैं एक पौधा ऐसा है जो इंसान को आत्महत्या करने पर मजबूर कर सकता है। धरती पर पाए जाने वाले सबसे जहरीले पौधे का नाम जिम्पई-जिम्पई है। यह जहरीला पौधा देखने में बेहद साधारण लगता है। इसे छूने से गर्म तेजाब और बिजली के झटके से जलने जैसा एहसास होता है। कहा जाता है कि इसके डंक से इतना खतरनाक दर्द होता है कि इंसान तड़प-तड़प कर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। इसी वजह से इस पौधे को सुसाइड प्लांट कहा जाता है।
वैज्ञानिक मरीना हर्ले ने इस पौधे के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। एक बार वह ऑस्ट्रेलियाई वर्षावनों पर शोध कर रही थीं। उन्हें पता था कि जंगल में कई खतरनाक पेड़-पौधे हो सकते हैं। इनसे खुद को बचाने के लिए उन्होंने वेल्डिंग ग्लव्स और बॉडी सूट पहना था। शोध के दौरान उनका संपर्क एक नए पौधे से हुआ। वेल्डिंग ग्लव्स पहनकर भी इस पौधे का अध्ययन करना उनके लिए महंगा साबित हुआ।
उन्होंने बताया कि इस पौधे को छूने के बाद उन्हें एसिड और बिजली का झटका लगा, जिसके बाद वे अस्पताल पहुंचीं। तब तक उनका पूरा शरीर लाल हो चुका था और वे जलन से चीख रही थीं। जिम्पाई-जिम्पाई के असर को कम करने के लिए उन्हें काफी समय तक अस्पताल में रहना पड़ा और स्टेरॉयड लेने पड़े। डिस्कवरी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बिजली के झटके और शरीर पर एसिड डालने जैसा दर्द होता था।
जिम्पाई-जिम्पाई को दुनिया का सबसे जहरीला डंक मारने वाला पौधा माना जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई आर्मी ऑफिसर इस पौधे का शिकार हुए थे। इसके साथ ही कई ने दर्द में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे लोग कई सालों तक दर्द से परेशान रहे। इसके बाद लोगों का ध्यान इस ओर गया और इसे सुसाइड प्लांट नाम दिया गया।
इस पौधे का जैविक नाम डेंड्रोक्नाइड मोरोइड्स है। यह ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी वर्षावन में पाया जाता है। इसका सामान्य नाम जिम्पाई-जिम्पाई है। इस पौधे को कई नामों से भी जाना जाता है। लोग इसे सुसाइड प्लांट, जिम्पाई स्टिंगर, स्टिंगिंग ब्रश और मूनलाइटर जैसे नामों से जानते हैं। यह पौधा ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ मोलुक्का और इंडोनेशिया में भी पाया जाता है।
यह पौधा 3 से 15 फीट लंबा और कांटों से भरा होता है जिसमें न्यूरोटॉक्सिन जहर होता है। इसके कांटों के जरिए जहर शरीर में प्रवेश करता है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिन की तरह होता है जिसका सीधा असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। कांटा चुभने के बाद 30 मिनट में दर्द तेजी से बढ़ने लगता है। अगर समय रहते इलाज मिल जाए तो दर्द कम हो जाता है।
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