India News (इंडिया न्यूज), R.A Awareness Day 2024: हर साल 2 फरवरी को रुमेटीइड गठिया जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में लगभग 18 मिलियन लोग रुमेटीइड गठिया से पीड़ित थे। इस भयानक आंकड़े को देखकर इस दिन के महत्व को समझा जा सकता है। चूंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसलिए इसके प्रति जागरूक रहना और भी जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं कि रुमेटीइड गठिया क्या है और इसे कैसे प्रबंधित किया जा सकता है।
रुमेटीइड गठिया एक पुरानी ऑटो-इम्यून बीमारी है जो शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या हो जाती है, जिसके कारण चलना-फिरना खासतौर पर मुश्किल हो जाता है। इसका असर घुटनों, अंगुलियों, कलाई, एड़ी जैसे हिस्सों पर पड़ता है, जिससे इन्हें चलने-फिरने में काफी दिक्कत होती है।
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, यह बीमारी न केवल आपकी हड्डियों बल्कि आंखों, मुंह, हृदय, त्वचा, फेफड़ों और पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है। हमारी हड्डियों में कार्टिलेज होता है, जो एक संयोजी ऊतक है जो शॉक अवशोषक के रूप में कार्य करता है। ये हड्डियों को टूट-फूट से बचाने में भी मदद करते हैं। रुमेटीइड गठिया में ये क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे जोड़ों का आकार बिगड़ने लगता है और हड्डियां नष्ट होने लगती हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली की कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएं इस प्रक्रिया में मदद करती हैं, जिसके कारण इसे ऑटो-इम्यून बीमारी कहा जाता है। ये कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में जाकर उन्हें भी प्रभावित कर सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, रुमेटीइड गठिया के 70 प्रतिशत मामले महिलाओं में होते हैं, जिनमें से 55 प्रतिशत 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं हैं। इन आंकड़ों से यह समझा जा सकता है कि महिलाओं को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा धूम्रपान, मोटापा और आनुवांशिक कारणों से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
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