India News (इंडिया न्यूज), Rani Kamalapati Palace: अगर आप इतिहास से जुड़ी जगहों की सैर का शौक रखते हैं, तो भोपाल का कमलापति महल आपके लिए एक रोमांचक गंतव्य साबित हो सकता है। यह महल न केवल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके डूबने की कहानी भी उतनी ही रहस्यमयी है। सात मंजिला इस महल की पांच मंजिलें पानी में डूबी हुई हैं, और इसके पीछे छिपी कहानी इतिहास के पन्नों में दर्ज एक दुखद अध्याय को बयां करती है।

रानी कमलापति ने करवाया था निर्माण

करीब 300 साल पहले इस महल का निर्माण भोपाल के तत्कालीन शासक निजाम शाह की पत्नी रानी कमलापति ने करवाया था। उनके नाम पर इस भव्य इमारत को ‘कमलापति महल’ कहा जाता है। इसे भोजपाल महल और जहाज महल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि रात के समय इस महल की परछाईं पानी में किसी विशाल जहाज जैसी प्रतीत होती है।

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लखौरी ईंटों से बना यह महल

इस ऐतिहासिक इमारत को बेहद खास लखौरी ईंटों से बनाया गया था, जो लाहौर से मंगवाई गई थीं। इन ईंटों को मजबूती के लिए जाना जाता है, जिससे महल का ढांचा स्थायित्वपूर्ण बनाया जा सके। इसकी नींव के निर्माण में भारी पत्थरों का उपयोग किया गया था, जिससे यह झील में धंसने से बचा रहे। महल के आगे छज्जे बने हुए हैं, जो इसकी खूबसूरती को और निखारते हैं।

महल पानी में क्यों डूबा?

इतिहासकारों के अनुसार, रानी कमलापति के सौंदर्य पर राजा निजाम शाह के मित्र मोहम्मद खान की बुरी नजर थी। वह उन्हें अपनी रानी बनाना चाहता था। इसी वजह से रानी के पुत्र नवल शाह और मोहम्मद खान के बीच युद्ध छिड़ गया। दुर्भाग्यवश, युद्ध में नवल शाह वीरगति को प्राप्त हुए। बेटे की मृत्यु की खबर मिलते ही रानी कमलापति ने खुद को बचाने के लिए एक साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने महल के पास बने बांध का सकरा रास्ता खुलवा दिया, जिससे तालाब का पानी महल में समाने लगा। कुछ ही देर में महल जलमग्न हो गया और रानी ने इसी पानी में समाधि ले ली।

राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित

सन् 1989 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस महल को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया और इसके संरक्षण का जिम्मा उठाया। आज, यह महल इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अगर आप भोपाल की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो कमलापति महल जरूर देखें। यहां की दीवारों में इतिहास के अनकहे रहस्य छिपे हैं, जो आपको अतीत में झांकने का अवसर देंगे।

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