India News (इंडिया न्यूज), Julie McFadden: मौत का नाम लेते ही हर किसी के मन में सिहरन दौड़ जाती है। चाहे वह किसी बच्चे की हो या किसी बुजुर्ग की, सेहतमंद व्यक्ति की हो या बीमार की, मौत हमेशा दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण होती है। मृत्यु के बाद परिवार पर जो असर होता है, उसका दर्द वही समझ सकते हैं जिन्होंने अपने किसी करीबी को खोया हो। मगर इसके साथ ही, मौत के बाद जिस शरीर को हम सिर्फ एक निष्क्रिय लाश मानते हैं, उसमें भी कुछ हैरान करने वाले बदलाव आते हैं। हाल ही में एक नर्स ने इन बदलावों को लेकर कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
डेली स्टार वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जूली मैकफेडन (Julie McFadden), जिन्हें सोशल मीडिया पर ‘हॉस्पाइस नर्स जूली’ के नाम से भी जाना जाता है, ने मृत्यु के बाद शरीर में आने वाले बदलावों पर एक वीडियो पोस्ट किया। जूली आम नर्स नहीं हैं; वह उन लोगों की देखभाल करती हैं, जो जीवन के अंतिम चरण में होते हैं। वह अक्सर अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करती हैं, जिसमें वह मौत के करीब पहुंचे व्यक्तियों और उनके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी देती हैं। हाल ही में उनके द्वारा साझा किए गए वीडियो में उन्होंने मृत्यु के बाद शरीर में होने वाले बदलावों पर विस्तार से चर्चा की।
शरीर से तरल पदार्थ का बहाव
जूली के अनुसार, मरने के बाद शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो जाता है। ऐसा रिलैक्सेशन होता है कि मांसपेशियों और अंगों में संचित तरल पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं। ये तरल पदार्थ शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे आंख, नाक, और कान से बाहर आ सकते हैं। कई बार, मृत्यु के तुरंत बाद शरीर से पेशाब या मल भी बाहर आ जाता है, क्योंकि शरीर के अंदर मौजूद मांसपेशियां अब सक्रिय नहीं रहतीं और वे तरल पदार्थों को रोकने में असमर्थ हो जाती हैं।
शरीर का तापमान गिरना और रंग बदलना
मृत्यु के बाद शरीर का तापमान तेजी से गिरने लगता है। शरीर की गर्मी खत्म हो जाती है और ठंडापन बढ़ता है। इसके अलावा, गुरुत्वाकर्षण बल के कारण खून शरीर के निचले हिस्से में जमने लगता है, जिससे वह हिस्सा बैंगनी रंग का हो जाता है। इस प्रक्रिया को पोस्टमॉर्टम लिविडिटी कहते हैं, जो धीरे-धीरे पूरी होती है और शरीर के रंग में बदलाव का कारण बनती है।
शरीर का अकड़ना (रिगर मॉर्टिस)
मौत के कुछ समय बाद, लगभग 1 से 2 घंटे के भीतर, शरीर में रिगर मॉर्टिस (Rigour Mortis) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस दौरान मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं और शरीर एक कठोर अवस्था में पहुँच जाता है। यह स्थिति करीब 24 से 30 घंटे तक रहती है, इसके बाद शरीर धीरे-धीरे फिर से ढीला होने लगता है। यह प्रक्रिया हर व्यक्ति में अलग हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह बदलाव मृत्यु के कुछ समय बाद से ही शुरू हो जाते हैं।
मौत को एक सहज अनुभव बनाने का उद्देश्य
जूली ने बताया कि वह इन सारी जानकारियों को इसलिए साझा कर रही हैं ताकि लोगों को मौत के बाद शरीर में होने वाले इन बदलावों के बारे में पहले से पता हो और परिवार वाले डरने की बजाय शांत महसूस कर सकें। उनके अनुसार, यह समझना जरूरी है कि मृत्यु एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके बाद शरीर में होने वाले ये सभी बदलाव भी प्रकृति का ही हिस्सा हैं।
मृत्यु एक गूढ़ और संवेदनशील विषय है। जो लोग अपने प्रियजनों को खोते हैं, उनके लिए ये समय काफी कठिन होता है। परंतु यदि उन्हें यह जानकारी हो कि मृत्यु के बाद शरीर में ऐसे बदलाव होते हैं, तो शायद वे इस स्थिति को अधिक सहजता से स्वीकार कर सकें। जूली जैसी नर्सें, जो न सिर्फ मृत्यु के करीब पहुंच चुके लोगों की देखभाल करती हैं बल्कि उनके प्रियजनों को भी इस कठिनाई से उबरने में मदद करती हैं, समाज के लिए एक प्रेरणा हैं। मृत्यु को एक स्वाभाविक घटना के रूप में देखने और समझने के लिए ऐसी जानकारियाँ मददगार हो सकती हैं, ताकि परिवार वाले अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा को शांति के साथ देख सकें।
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