India News (इंडिया न्यूज़), Sikandar Khan Lodi Death Anniversary: दिल्ली सल्तनत के सुल्तान सिकंदर लोदी की मां हिंदू सुनार थीं, फिर भी वह धार्मिक रूप से असहिष्णु थे। उन्होंने एक ब्राह्मण को सिर्फ इसलिए सूली पर लटका दिया था, क्योंकि उसने कहा था कि हिंदू और मुसलमान समान हैं। विद्वानों के प्रेमी दिल्ली के इस सुल्तान की 21 नवंबर 1517 को गले की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी।  बदलोल लोदी के पुत्र निजाम खान ने 17 जुलाई 1489 को सुल्तान सिकंदर शाह की उपाधि के साथ अपने पिता का उत्तराधिकार संभाला। गद्दी पर बैठते ही उसने अपने विरोधी चाचा आलम खां और ईसा खां, भतीजे आजम हुमायूं और जालरा के सरदार तातार खां को युद्ध में हराकर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। उसने जौनपुर पर कब्जा करने के लिए अपने ही बड़े भाई बरबक शाह के खिलाफ अभियान चलाया और सफल रहा। 

बिहार को बनाया था दिल्ली का हिस्सा

वर्ष 1494 ई. में उसने बनारस के पास हुए युद्ध में हुसैन शाह शर्की को हराया और बिहार को दिल्ली का हिस्सा बना लिया। सिकंदर लोदी ने धौलपुर, उत्तरगिरि, मण्डरेल, नरवर और नागौर जैसे राजपूत राज्यों पर भी विजय प्राप्त की, लेकिन ग्वालियर पर कब्जा नहीं कर सका। इतिहासकार कहते हैं कि, सिकंदर लोदी शिक्षित विद्वान था और विद्वानों को संरक्षण भी देता था। अरब समेत कई देशों से विभिन्न जातियों के विद्वान उसके दरबार में आते थे, जिन्हें वह अनुदान भी देता था। 

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कई संस्कृत ग्रंथों का फ़ारसी में करवाया अनुवाद

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, सुल्तान सिकंदर लोदी ने कई संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद भी करवाया। वह खुद भी गुलरुखी के छद्म नाम से कविताएं रचता था और लज्जत-ए-सिकंदरशाही नामक संगीत पर एक किताब भी लिखी थी। कहा जाता है कि वह रात में विद्वानों से चर्चा करता था। आमतौर पर उसके पलंग के नीचे 70 विद्वान बैठकर अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते थे।

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मस्जिदों को शिक्षा का केंद्र बनाने की कोशिश की थी

सिकंदर लोदी ने सरकारी संस्थाओं के रूप में मस्जिदों को शिक्षा का केंद्र बनाने की भी कोशिश की। उसके शासनकाल में बड़ी संख्या में हिंदू भी फारसी सीखकर सल्तनत में ऊंचे पदों पर पहुंचे। इसके बावजूद वह धार्मिक रूप से सहिष्णु नहीं था। कहा जाता है कि सिकंदर लोदी ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवाईं। एक इतिहासकार ने तो यहां तक ​​लिखा है कि दिल्ली के इस सुल्तान ने नगरकोट स्थित ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों में बांट दिया था, ताकि वे मांस तोल सकें। इतना ही नहीं, उसने हिंदुओं पर फिर से जजिया कर लगा दिया। जब एक ब्राह्मण ने कहा कि हिंदू और मुसलमान दोनों ही समान रूप से पवित्र हैं, तो उसे फांसी पर लटका दिया गया।

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