इंडिया न्यूज़: (Mrs Chatterjee Vs Norway) मार्च को सिनेमाघरों में रानी मुखर्जी की फिल्म मिसेस चटर्जी वर्सेस नॉर्वे रिलीज की गई थी और यह फिल्म दर्शकों को पसंद भी आई थी लेकिन अब भारत के लिए नॉर्वे के राजदूत हैन्स जैकब फ्रायडेन्लैंडने ने बाकायदा अख़बार में अपने लेख में यह दावा किया है कि नॉर्वे से संबंधित फिल्म के अंदर कई सारी चीजें झूठ दिखाई गई हैं। इस पर सागरिका चक्रवर्ती जिनके जीवन के ऊपर इस फिल्म को बनाया गया है। उनका कहना यह है कि नॉर्वे सरकार सच को छुपाते हुए बातें बना रहे हैं और झूठी अफवाह फैला रही हैं।
12 साल पहले नॉर्वे चाइल्ड वेलफेयर सर्विस ने सागरिका चक्रवर्ती के दोनों बच्चों को अपने कब्जे में ले लिया था। बाद में भारत सरकार के कूटनीतिक हस्तक्षेप के बाद नॉर्वे की अदालत में लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद बच्चों को परिवार को सौंपा गया और उसके बाद बच्चों का पालन पोषण भारत में ही हुआ। इस पूरे मामले में सागरिका ने बताया था कि उनके बच्चों को अन्याय पूर्वक उनसे छीन लिया गया था। वही नॉर्वे की इस घटना के बाद भारत में भी हड़कंप मच गया था। उस समय भारत में इस खबर ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। यहां तक कि आमजन के अंदर भी इस मामले को लेकर काफी नाराजगी थी। बात तो इतनी आगें बढ़ गई थी कि यह मामला उस समय के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने संसद में भी उठाया था और अब इतने सालों बाद जब फिल्म को रिलीज किया गया है तो इस पर नॉर्वे की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई हैं।
भारत में नॉर्वे के दूतावास की तरफ से सफाई दी गई है कि नॉर्वे के अंदर प्रिंटिंग टेक्निक भारत से अलग हो सकती है लेकिन मानव भावनाएं अलग नहीं होती, उन्होंने अपने बयान में आगे कहा फिल्म में ऐसी धारणा बनाई गई है कि नॉर्वे की संस्कृति ने भारत की संस्कृति को स्वीकार नहीं किया और भारत के माता-पिता अपने बच्चों के साथ सोते हैं। कई बार उनको हाथ से खाना खिलाते हैं। इसे नॉर्वे की नजरों में गलत माना जाता है। जो बिल्कुल गलत है। वही फ्रायडेन्लैंड आगे कहते हैं फिल्म में दिखाया गया है कि सांस्कृतिक तौर पर भारत और नॉर्वे में बहुत बड़ा अंतर है। नॉर्वे के अंदर किसी बच्चे को सुलाने से या फिर उन्हें हाथ से खाना खिलाने पर कोई भी कढ़ाई नहीं है। यहां तक कि अगर माता-पिता कुछ होने पर अपने बच्चे को एक थप्पड़ भी मार देते हैं। तो उस पर भी उन्हें चाइल्ड सर्विसेज द्वारा सिर्फ समझाया जाता है ना कि इतना कड़ा कदम उठाया जाता है। आखिर में उन्होंने कहा कि नॉर्वे के अंदर 20 हजार से भी ज्यादा भारतीय रहते हैं और अगर कोई भारतीय भारत से नॉर्वे में आना चाहे तो उसके मानसिकता पर इस फिल्म का गलत प्रभाव पड़ सकता है, मैं आशा करता हूं कि ऐसा ना हो।
मिसेस चटर्जी वर्सेस नॉर्वे पर विदेशी दूतावास की टिप्पणी आने के बाद फिल्म के निर्माता ने सफाई देते हुए कहा कि फिल्म के अंदर किसी भी तरह की घटना को बनाया नहीं गया है। इस फिल्म में पूरी तरीके से नॉर्वे की कथित चाइल्ड प्रोटक्शन सर्विसेज की कमियों के ऊपर संकेत किया गया है। फिल्म के निर्माता निखिल आडवाणी ने ट्वीट कर नॉर्वे के दूतावास पर ही आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि भारत में अतिथियों को सम्मान देना परंपरा मानी जाती है। फिल्म की रिलीज से 1 दिन पहले भी नॉर्वे के राजदूत के लिए विशेष स्क्रीनिंग रखी गई थी लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद राजदूत ने फिल्म से जुड़ी दो महिलाओं के साथ धमकी भरे लहजे में बात की निखिल ने अपनी ट्वीट में सागरिका का द्वारा बनाया एक वीडियो भी शेयर किया। जिसमें वह नॉर्वे सरकार की टिप्पणी का खंडन कर रहे हैं।
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