INDIA NEWS (DELHI) :पूरी हो गई हैं दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव कराने की तैयारियां। 2 जनवरी दिन सोमवार को एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती के निगरानी में निगम सचिव भगवान सिंह ने दिल्ली मेयर के चुनाव के नजरिए से सदन परिसर में पार्षदों के बैठने की व्यवस्था की। अध्यक्ष के सामने सदन के बेल एरिया में वोटिंग करने के लिए बैलेट बॉक्स भी रखा गया।

इससे पहले एमसीडी प्रशासन के लिए एमसीडी का चुनाव जीतकर आए कुल 250 पार्षदों के बैठने का इंतजाम करना भी एक बड़ी चुनौती है । इस सदन परिसर में सिर्फ 300 लोगों के बैठने की ही व्यवस्था है। इससे पहले वहा ऐसा कभी नहीं होआ है , लेकिन अब दिल्ली के अभी वार्ड पार्षद एक साथ सदन में स्थित रहेंगे।

क्या है मेयर के चुनाव की प्रक्रिया ?

पांच साल का कार्यकाल होता है एमसीडी के सदन के पास, एमसीडी एक्ट के अनुसार पहले साल महिला पार्षद को महापौर चुने जाने का नियम है, वही बात उपमहापौर के मामले की करे तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। दूसरे साल महापौर पद पर महिला या पुरुष कोई भी पार्षद बन सकता है,

जबकि तीसरे साल का मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए आरछित है। इसी क्रम में चौथे व पांचवें साल महापौर पद के लिए कोई आरक्षित नहीं है। छह जनवरी को होने वाली एमसीडी के सदन की बैठक में चुने गए महापौर का कार्यकाल मात्र 3 महीने का ही होगा।

दरअसल धारा दो (67) के अनुसार 31 मार्च को एमसीडी का वर्ष समाप्त होता है , वही 1 अप्रैल को एमसीडी का वर्ष शुरू होता है। इसको देखते हुए अप्रैल के महीने में ही दूसरे महापौर का चुनाव होगा।

पार्षदों के अलावा और कौन देगा वोट ?

साल 2023 में दिल्ली में परिसीमन लागू हुआ और इस तहत नगर निगम में 250 वार्ड निर्धारित किए गए,जिनकी सांख्य पहले 104 थी। जिसमें अध्यक्षता मेयर करेगा। एमसीडी में बहुमत के लिए 138 वोट मिलना जरूरी है उसके बाद ही मेयर बन सकेंगे।

इस चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 14 मनोनीत विधायक,दिल्ली सभी निर्वाचित पार्षद, दिल्ली के सभी लोकसभा सांसद,3 राज्यसभा सांसद ये सभी इस मेयर चुनाव में वोट डालेंगे और मेयर बनायेगे। इनके द्वारा चुना गया मेयर 6 महीने का कार्य संभालेग। अलग मेयर चुनाव १ जनवरी को कराया जायेगा। पहली मेयर महिला प्रतिनिधि होगी।