India News (इंडिया न्यूज), Custody Of Adopted Child: बच्चे मन के सच्चे होते है। घर आंगन बच्चे के किलकारी से ही रौनक होती है। कई लोग बच्चों को भगवान की देन कहते है तो कई भगवान का रूप। भारत और दुनिया के कई देशों में ये मान्यता है की बच्चे ही परिवार के वंश को आगे बढ़ाएंगे। अतः बच्चे से ही हिंदुस्तान में परिवार संपन्न मन जाता है। आज के समय में ज्यादातर लोगों के एक से दो बच्चें होते है। लोग बायोलॉजिकल प्रोसेस से बच्चा पैदा करते है पर कई कपल ऐसे भी है जो निःसंतानता से परेशान है। कई लोग निःसंतानता से बचने के लिए आईवीएफ से बच्चा पाते है। पर आईवीएफ सबके लिए संभव नहीं है क्यूंकि यह काफ़ी महंगा तरीका है। ऐसे में वो एक और रास्ता अपनाते हैं वो है बच्चे को गोद लोना।
वेस्टर्न कन्ट्रीज में बच्चे को अडॉप्ट करने की परंपरा काफ़ी पहले से चली आ रही है। लेकिन भारत में लोग पहले बच्चे को अडॉप्ट करना सही नहीं मानते थे क्योंकि उन्हें अपना ही खून चाहिए होता था। लकिन बदलते समय और सोच के साथ अब लोगों की सोच में वृद्धि हुई है। अब जो कपल बायोलॉजिकल प्रोसेस द्वारा बच्चा पैदा करने में असमर्थ है ऐसे कपल अनाथ बच्चे को गोद लेकर अपना जीवन और परिवार संपन्न कर रहे है। ऐसे में किसी भी कपल को किसी अनाथालय से ही बच्चे को कानूनी तौर पर अडॉप्ट करना चाहिए। आइए किसी अनाथ बच्चे को अडॉप्ट करने के लिए क्या प्रोसेस है और कैसे बच्चे की कस्टडी कानूनी तरीके से आपको मिल सकती है।
भारत में किसी को अगर बच्चे को गोद लेना होता है, तो कानूनी तौर पर उसकी कस्टडी भी हासिल करनी जरूरी है। भारत में इसके लिए कुछ नियम- कानून बनाए गए हैं। अगर कोई शादीशुदा दंपत्ति किसी बच्चे को गोद ले रहा है, तो दोनों की शादी को कम से कम 2 साल पूरे होने अनिवार्य है। बच्चे को गोद लेने के वाले माता-पिता और बच्चे के बीच काम से काम 25 साल का ऐज गैप होना चाहिए। अगर कोई पुरुष बच्चे को गोद लेना चाहता है चाहे वो विवाहित हो या नहीं तो ऐसे पुरुष केवल लड़के को ही गोद ले सकते है। वही दूसरी तरफ अगर कोई महिला सिंगल मदर के तौर पर बच्चे को गोद लेना चाहती है तो वो लड़का या लड़की किसी को भी गोद ले सकती है।
बच्चे को गोद लेने के लिए आपको सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी CARA की वेबसाइट cara.nic.in पर जाना होता है। यहां आपको ऑनलाइन एप्लीकेशन फाइल करना जरूरी है। उसके साथ ही आपको कुछ संबंधित दस्तावेज भी जमा करने होते है। जिनमें आपका आधार, पैन कार्ड, फोटो, शादी का प्रमाण पत्र और फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करना होता है। इसके बाद एक एजेंसी के कुछ लोग आपके घर की जांच पड़ताल करने आते है। सब कुछ की पूर्ति के बाद जिलाधिकारी के कार्यालय से जिस बच्चे को गोद लिया गया है उसका बर्थ सर्टिफिकेट बनाया जाता है। बर्थ सर्टिफिकेट गोद लेने वाले माता-पिता को दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद ही कानूनी तौर पर माता-पिता को बच्चे की कस्टडी मिलती है। बच्चे को गोद लेने के लिए आप कुछ फीस राशि भी चुकानी होती है।
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