इंडिया न्यूज़, लखनऊ।
UP Assembly Election 2022 उत्तर प्रदेश विधान सभा की चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) समेत इस नाम के चार उम्मीदवार मैदान में हैं। विधान सभा चुनाव में अखिलेश यादव नाम के चार उम्मीदवारों में सपा प्रमुख समेत दो उम्मीदवार सपा के हैं जबकि एक कांग्रेस (Congress) और एक निर्दलीय के तौर पर अपनी तकदीर आजमा रहे हैं।
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चार सीटों पर बने उम्मीदवार
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चुनाव क्षेत्र मैनपुरी जिले के करहल में मतदान हो चुका है और मतदाताओं ने उनकी किस्मत ईवीएम में बंद कर दी है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) नाम के दूसरे उम्मीदवार आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधान सभा सीट से हैं। इसके अलावा अयोध्या जिले की बीकापुर विधान सभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार का भी नाम अखिलेश यादव है। संभल के गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) है।
उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के बाद हुई गलतफहमी
संपर्क करने पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तीनों हमनामों ने को बताया कि उनके लिए ये नाम होना एक लाभ है। 7 फरवरी को समाजवादी पार्टी ने मुबारकपुर विधान सभा क्षेत्र से उम्मीदवार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नाम की घोषणा की तो कुछ लोगों को लगा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव दो सीटों पर विधान सभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। चूंकि इसके पहले ही सपा प्रमुख के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा हो चुकी थी और आजमगढ़ उनका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है तो लोगों ने अनुमान लगाया कि हो सकता है कि वो दो सीटों से चुनाव लड़ें।
पहले भी चुनाव लड़े मुबारकपुर वाले अखिलेश लेकिन पार्टी नेताओं ने स्थिति साफ कर दी और बताया कि मुबारकपुर से घोषित सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव 2017 में भी विधान सभा चुनाव लड़ चुके हैं और बीएसपी के शाह आलम से महज 688 वोटों से हारे थे।
मुबारकपुर से सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा, ‘मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र, के लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है, लोग मेरे प्रति सहानुभूति महसूस करते हैं, क्योंकि मैं इस सीट से 2017 का विधान सभा चुनाव बहुत ही कम अंतर से हार गया था मुबारकपुर सपा प्रत्याशी के भाग्य का फैसला सातवें और अंतिम चरण में सात मार्च को होगा। मुबारकपुर से सपा प्रत्याशी ने कहा कि उनके पिता ने उनका नाम अखिलेश रखा है क्योंकि उनके तीन भाइयों का नाम ‘ईश’ के साथ समाप्त हुआ- अवधेश यादव, उमेश यादव और अमरेश यादव।
अयोध्या जिले के बीकापुर विधा नसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने से कहा, ‘मैं 2016 में कांग्रेस में शामिल हुआ था और इससे पहले, मैं समाजवादी पार्टी के साथ था। सपा को छोड़ने के कारण पूछने पर उन्होंने बताया, ‘मुझे उचित सम्मान नहीं दिया गया।’ उन्होंने एक दिलचस्प घटना को याद करते हुए कहा, ‘कुछ दिन पहले जब मैं अपने समर्थकों के साथ निर्वाचन क्षेत्र में, प्रचार कर रहा था तो मेरे एक समर्थक ने ‘अखिलेश भैया’ जिंदाबाद के नारे लगाए तो इसने कुछ आसपास खड़े सपा समर्थकों में उत्साह बढ़ा और वे भी जवाब में नारे लगाने लगे। बाद में, उन्हें एहसास हुआ कि वे वास्तव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में नारे लगा रहे हैं। उनमें कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह लेकर अखिलेश नाम का कौन आ गया और इसके बाद वे लोग सतर्क हो गए। ‘
इसके अलावा गुन्नौर में निर्दलीय उम्मीदवार लखवेंद्र उर्फ अखिलेश यादव के क्षेत्र में मतदान हो चुका है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका जन्म के बाद नाम लखवेंद्र सिंह रखा गया लेकिन उनकी दादी उन्हें ‘अखिलेश’ कहकर पुकारा करती थीं और धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उन्हें ‘अखिलेश’ कहने लगे। लखवेंद्र ने बताया, ‘मेरे चाचा ने मेरा नाम लखवेंद्र सिंह रखा था लेकिन मेरी दादी और मेरी मां ने मुझे अखिलेश कहना शुरू कर दिया।’ लखवेंद्र के पिता राम खिलाड़ी सिंह गुन्नौर से सपा के उम्मीदवार हैं और लखवेंद्र को ‘डमी’ उम्मीदवार के तौर पर यहां नामांकन कराया गया। उन्होंने कहा कि उनके लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सब कुछ हैं और समाजवाद उनके खून में है।
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