India News (इंडिया न्यूज) Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराधियों और अराजक तत्वों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे खुलेआम हथियार लहराते हुए सड़कों पर घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। अखिलेश यादव ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश की हालत यह हो गई है कि न आगरा सुरक्षित है और न ही बनारस।
सरकार के संरक्षण में पूरे राज्य में अराजकता पैर पसार चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरेआम तलवारें चल रही हैं, लोगों को गोली मारने की धमकी दी जा रही है, तो सरकार और पुलिस प्रशासन चुप्पी क्यों साधे हुए है? सपा प्रमुख ने वाराणसी में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकप्रिय वक्ता हरीश मिश्रा पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस घटना से साफ मालूम चलता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। उन्होंने कहा कि मिश्रा जी पर चाकू से हमला किया गया और उनके कपड़े खून से सने मिले, जिससे पता चलता है कि अब अपराधियों के अंदर डर नाम की कोई चीज है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही है। हत्या, लूट और बलात्कार जैसी घटनाएं हर दिन बढ़ रही हैं और सरकार का तथाकथित “जीरो टॉलरेंस” अब सिर्फ नारा बनकर रह गया है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
अखिलेश यादव ने लखनऊ में बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा हटाने के प्रयासों भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई सरकार के इशारे पर प्रशासन कर रही है, ताकि दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की आवाज को उठने न दिया जाए। उन्होंने कहा, “कभी गोरखपुर, कभी लखनऊ में महापुरुषों की प्रतिमा हटाना जातिगत वर्चस्व का अहंकार है।”
अखिलेश यादव ने लोगों से अपील की कि वे 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अराजक और दलित विरोधी नीतियों को समाप्त करें और समाजवादी सरकार बनाकर एक बार फिर प्रदेश में संविधान और कानून का राज स्थापित करें।
हाल के वर्षों में विपक्ष उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार पर लगातार सवाल उठाता रहा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में आपराधिक मामलों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार के संरक्षण में अपराधियों को खुली छूट मिल रही है और प्रशासन राजनीतिक दबाव में निष्पक्ष कार्रवाई करने से बचता है। बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्तियों को लेकर कई विवाद हो चुके हैं, जिससे दलित समुदाय में नाराजगी बढ़ती जा रही है।