उत्तर प्रदेश

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र एक पब्लिक अथॉरिटी है… RTI के इस सवाल पर कोर्ट ने क्या कहा?

India News (इंडिया न्यूज़),Ayodhya News: उच्च न्यायालय ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से एक आर्ट एप्लीकेशन पर एलसीडी को सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर दिल्ली (सीआईसी) से संपर्क करने के लिए कहा है। आरती में यह जानकारी दी गई कि क्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र एक ‘सार्वजनिक प्राधिकारी’ है। रिजर्व नीरज शर्मा ने ट्रस्ट के लिए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों और प्रथम अपील प्राधिकरण का विवरण मांगा था। एफ़सी केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) द्वारा जारी आदेश और केंद्र के इस रुख से व्यथित था कि ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ एक ऐसी संस्था है जो ‘न तो भारत सरकार के स्वामित्व में है, न ही उसका नियंत्रण है और न ही है। वित्तपोषित है’, इसलिए यह ‘सार्वजनिक अधिकार’ की परिभाषा एक स्वतंत्र और स्वतंत्र संगठन है।

कंपनी के वकील ने कहा कि सीआईसी ने 8 जुलाई, 2022 को अपील का अनुरोध करते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया, जबकि केंद्र की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के विवादास्पद बिंदु का जवाब दिया गया। इसके बाद जब गृह मंत्रालय (एमएचए) ने दावा किया कि ट्रस्ट विश्व प्रकृति का है, तो रियल एस्टेट ने सीआईसी में एक और अपील विभाग की, जिसने इसे पंजीकृत करने से इनकार कर दिया।

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कोर्ट ने क्या कहा

शुक्रवार को जस्टिस संजीव नरूला ने याचिकाकर्ता के वकील से मौखिक रूप से कहा, “आप सीआईसी से ही न्यायिक समीक्षा की मांग क्यों नहीं करते?” वकील ने कहा कि कोर्ट मामले को वापस सीआईसी को भेज सकता है और उन्हें इस मुद्दे पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दे सकता है। गृह मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि अगर मामला वापस आयोग को भेजा जाता है, तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे।

कोर्ट के आदेश की प्रति फिलहाल उपलब्ध नहीं है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि ट्रस्ट के गठन का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था और केंद्र सरकार ने इसे अधिसूचित किया था। इसलिए इसे आरटीआई अधिनियम के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” की परिभाषा में आना चाहिए।

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याचिका में यह कहा गया

याचिका में कहा गया है कि कानून के तहत किसी सार्वजनिक प्राधिकरण को अपने गठन के 180 दिनों के भीतर एक लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) नामित करना होता है, जो राम जन्मभूमि ट्रस्ट के मामले में नहीं किया गया है।

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Poonam Rajput

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