India News UP(इंडिया न्यूज), Bahraich violence: महराजगंज कस्बे में विसर्जन जुलूस के दौरान हुए पथराव और रेहुवा निवासी रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या के बाद रेहुवा मंसूर गांव के ग्रामीणों की दिनचर्या बदल गई है। पुलिस ने गांव में आने वाले चारों रास्तों को बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया है। सभी बैरिकेडिंग पर भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात हैं। इतना ही नहीं रेहुवा गांव में जगह-जगह और मृतक रामगोपाल के घर पर भारी फोर्स तैनात है और बाहरी लोगों को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। जिसके चलते परिवार घर में नजरबंद रहने को मजबूर है।
मृतक रामगोपाल मिश्रा के गांव रेहुवा मंसूर तक पहुंचने के लिए चार रास्ते हैं, जिनसे ग्रामीण अपनी सुविधानुसार आवागमन करते हैं। लेकिन घटना के बाद पुलिस ने चारों रास्तों खरचा चौराहा, सोतिया भट्टा, महेशपुरवा और रेहुवा मोड़ पर बांस-बल्लियों से बैरिकेडिंग कर दी है। बैरिकेडिंग को 24 घंटे के लिए बंद रखा गया है।
बैरिकेडिंग पर तैनात पुलिसकर्मी ग्रामीणों को रेहुवा मंसूर गांव में जाने से रोक रहे हैं और उनसे आधार कार्ड मांग रहे हैं। आधार और पहचान साबित करने के बाद ही ग्रामीणों को प्रवेश दिया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है और लोग परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें जरूरी काम से दिन में कई बार घर से निकलना पड़ रहा है। लेकिन कड़ी पूछताछ के कारण हम कम ही बाहर निकल रहे हैं।
जब खरचहा चौराहे पर तैनात सब इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह से बैरिकेडिंग और ग्रामीणों की समस्याओं के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि केवल मीडिया कर्मियों और राजनेताओं के गांव में जाने पर रोक है। आम ग्रामीणों को नहीं रोका जा रहा है।
मृतक राम गोपाल मिश्रा की मौत और पुलिस कार्रवाई के बाद मृतक की पत्नी रोली मिश्रा ने असंतोष जताते हुए बयान दिया था। मृतक के पिता ने भी असंतोष जताया था। जो पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया था। जिसके बाद परिवार पर निगरानी बढ़ा दी गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि परिवार नजरबंद रहने को मजबूर है। बाहर तैनात पुलिस कर्मी आम ग्रामीणों को भी परिवार से मिलने नहीं दे रहे हैं।
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