India News (इंडिया न्यूज़),Bundelkhand News: मामला बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले स्थित ग्राम मौरहा गांव का है, किंग कोबरा या अन्य किसी भी प्रजाति का सांप देखते ही हमारी रूह काप जाती हैं। जान बचाकर इधर उधर भाग खड़े होते है। लेकिन ये बुंदेलखंड के नौनिहाल उन जहरीले सांपों के साथ बेखौफ ऐसे खेलते हैं जैसे कोई खिलौना हो। कहते हैं कि सांप का डसा पानी भी नहीं मांगता मगर ये सभी बच्चे सांपो के साथ अटकालिया करते नजर आ रहे हैं। क्योंकि यह बच्चे उन जहरीलो सांपों को अपना दोस्त समझते हैं, यहां तक की इन बच्चों ने इन सांपों के नामकरण भी करके रखे हैं।
सांपों की माला बनाकर खेलते हैं बच्चे
जहां एक विशेष जाति (नाथ) के लोग पिछले कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और इनके बच्चे सांपों के साथ ऐसे खेलते हैं जैसे कोई प्लास्टिक का खिलौना हो। आप जिस तरीके से तस्वीरों में देख रहे होंगे, और आप यह भी सोच रहे होंगे कि यह प्लास्टिक से बने खिलौने हैं या फिर यह नकली सांप है क्या फिर आप यह सोच रहे होंगे कि यह सब हाथ की कला है, तो यकीन मानिए यह जो तस्वीर है जो आप देख पा रहे हैं वह हकीकत में असली साप ही है। कोई नकली सांप नहीं बल्कि किंग कोबरा है जिसे प्रत्यक्ष देखने के बाद पूरा हमारा आपका शरीर पानी पानी हो जाए। ये बच्चे उन सांपो के साथ खेलते भी है, और उनकी माला बनाकर एक दूसरे के गले में डालते रहते हैं।
2 माह का बच्चा भी खेलता है सांपों से
दिनभर उन्ही के साथ खेलते रहते मगर आज तक इन जहरीले सांपों ने बच्चो को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाया। वही जब इस पूरे मामले को लेकर बच्चों के परिवार के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोग पीढ़ियों से जहरीले सांपों के साथ खेलते कूदते आए हैं इसलिए किसी प्रकार का कोई डर नहीं लगता। जब हमारे बच्चे 2 माह से ऊपर हो जाते हैं तो वह बच्चे भी सांपों के साथ खेलते घूमते हैं जब तक बीन की आवाज उनके कानों तक नही पहुंचती जब रोता बच्चा चुप नहीं होता। उन्हीं सांपो के साथ सोते जागते हैं। ऊपर वाले की कृपा से आज तक कभी किसी भी साप ने उन्हें कोई नुकसान पहुंचाया। क्योंकि यह जहरीले सांपों को अपना दोस्त समझते हैं।
सांपों के नाम रखे सोनू- मोनू
पीढ़ियों से ही हम लोग भी बचपन में सांपों के साथ खेलते थे और आज वह खेल रहे हैं क्योंकि हम लोगों का यही काम है सांप पकड़ना और गांव-गांव में सांपों को ले जाकर मांगना जिससे कि हमारा भरण पोषण होता है साथी शासन से चलत योजनाओं का लाभ भी मिल जाता है। जिससे परिवार का गुजर बसर अच्छे ढंग से हो जाता है पर हमारे पास इतना पैसा नहीं कि हम अपने बच्चों को बेहतर खिलौने दे सके। गांव के सभी बच्चे स्कूल भी जाते हैं सुबह-शाम इन्हीं जहरीले सांपों के साथ खेलते रहते हैं और तो और बच्चों ने सांपों का नाम सोनू– मोनू रखा है। बरहाल कई बार बार बच्चों को मना भी किया की सांपों के साथ मत खेला करो लेकिन वह नहीं मानते हैं और सांपों के साथ खेलना अब उनका शौक बन गया है।
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