India News (इंडिया न्यूज), Arvind Chaturvedi, By Poll Election: घोसी में हार गए दारा सिंह ,ए के शर्मा ,ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद, अनुप्रिया पटेल इसे संयोग ही कहा जाएगा कि मऊ की घोसी विधानसभा पर पिछले 6 साल में 4 चुनाव हो चुके है। बाइस महीने पहले ही दारा सिंह चौहान ने घोसी सीट से 22 हज़ार से भी अधिक मतों से जीत का परचम लहराया था। दारा की जीत में ओम प्रकाश राजभर का भी बड़ा योगदान था। उसे बखान करते राजभर थकते भी नहीं थे। इन्हीं सपनों को दिखाकर एक बार फिर से ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा का दामन थाम लिया और अपनी डील भी पक्की कर ली, वो एनडीए में शामिल हो गए। पहले आप को यहां का जातीय समीकरण बता देते है फिर किसने क्या किया उसका विश्लेषण बताऊंगा। घोसी में 55 हज़ार राजभर। जिसके नेता होने का दम ओम प्रकाश राजभर भरते है।
19 हज़ार निषाद, जिसके नेता संजय निषाद है। 14 हज़ार कुर्मी वोट है जिनकी क्षत्रप होने का दम अनुप्रिया पटेल भरती है। इसके अलावा यूपी सरकार में क़द्दावर मंत्री का दम भरने वाले उर्जा मंत्री ए के शर्मा भी घोसी के रहने वाले है। इन सबके बाद यूपी सरकार के 26 मंत्री दोनों उप मुख्यमंत्री और योगी आदित्य नाथ की सभा के बाद भी दारा सिंह चौहान लोगों के दिलो में जगह नहीं बना सके। भाजपा का परम्परागत वोट बैंक ब्राह्मणों ने भी भाजपा को वोट नहीं दिया। ये भी कहा जा रहा है कि 15 हज़ार क्षत्रिय वोटों ने चुनाव का पासा पलट दिया।
निषाद पार्टी के संजय निषाद अब ये कहते घुम रहे हैं कि उपचुनाव में मतदान उम्मीदवार के चेहरे पर वोट डालता है। यहां पर आपको बता के चले कि दारा सिंह घोसी से ऐसे प्रत्याशी रहे जो चारों प्रमुख दलों से चुनाव लड़ चुके है। पहले कांग्रेस में थे फिर सपा में आए ,सपा से बसपा ,बसपा से बीजेपी, बीजेपी से दूसरी बार सपा में फिर सपा से दूसरी बार बीजेपी में वापसी की थी।
दारा सिंह 1999 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े व बसपा प्रत्याशी से चुनाव हार गए। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्य सभा भेजा था। इसके बाद दारा ने बसपा का दामन थाम लिया था। सन 2000 में दारा बसपा से राज्यसभा बने। फिर 2009 में बसपा से सांसद चुने गए। इसके बाद दारा सिंह चौहान 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए, हार के बाद दारा सिंह का ज़मीर की आवाज़ सुनकर दल बदल कर वह भाजपा में आ गए। दारा सिंह चौहान को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया।
2022 में भाजपा को कोसते हुए समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और घोसी से विधानसभा का चुनाव लड़ा जीता फिर जब सपा की सरकार नहीं बनी तो दारा सिंह चौहान ने एक बार फिर भाजपा का रूख कर लिया लेकिन इस बार जनता ने दारा सिंह चौहान को घोसी से किसी राउंड में बढ़त नहीं लेने दी। सुधाकर सिंह ने जो पहले राउंड में 178 वोटों से लीड ली वो अंत तक कायम रही। घोसी की जनता ने सभी जातिवाद के ज़रिए चुनाव जीताने का दावा करने वाले महारथियों को हांसिए पर ढकेल दिया। सभी क्षत्रप अपनी खाल बचाने के क्रम में एक दूसरे पर दोषारोपण करते नज़र आ रहे है। पर सच यही है कि समाजवादी पार्टी ने भाजपा को चुनाव हरा दिया है।
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