India News UP (इंडिया न्यूज़), AMU: सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में 4-3 के बहुमत से एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को दोबारा मूल्यांकन के लिए तीन जजों की एक नई बेंच गठित की जाएगी, जो इसे देने के मानदंडों को दोबारा निर्धारित करेगी।
कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 30 और 19(6) के बीच के संबंध को स्पष्ट किया है। अनुच्छेद 30(1) के तहत, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को यह अधिकार है कि वे शैक्षणिक संस्थान स्थापित और संचालित कर सकते हैं। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों को शैक्षणिक स्वतंत्रता देना है ताकि वे अपनी संस्कृति और पहचान को सुरक्षित रख सकें।
क्या है संविधान का अनुच्छेद 30?
AMU का इतिहास और अल्पसंख्यक दर्जे का विवाद
इसके बाद 2005 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी AMU को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार कर दिया। इसके फैसले में कहा गया कि AMU संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता, क्योंकि इसे संसद द्वारा स्थापित किया गया है।