गेस्ट हाउस कांड से लेकर विधानसभा भंग करवाने तक, जब मुलायम ने मायावती को सीएम बनने से रोकने का हर संभव प्रयास किया

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Guest house incident): साल 1995 का था, बहुजन समाज पार्टी के नेता कांशीराम गुड़गांव के अस्पताल में भर्ती थे उनकी तबीयत बहुत ख़राब थी। उनके साथ थे राज्यसभा के सांसद जयंत मल्होत्रा और पार्टी की महासचिव मायावती। जयंत ने तब मायवती से कहा की मेरे पिता की भी इसी बीमारी से मृत्यु हो गई थी यह सुन कर मायावती रोने लगी।

तब मायावती को कांशीराम ने बुलाया और पूछा कि क्या यूपी की मुख्यमंत्री बनोगी? कांशीराम ने फिर कहा, मैं मज़ाक नही कर रहा और फिर उन्होंने मायावती को बीजेपी के समर्थन के पत्र दिखाए, एक जून 1995 को मायावती लखनऊ पहुंची।

तब यूपी में सपा-बसपा की सरकार चल रही और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। मायावती राज्यपाल मोतीलाल वोहरा के पास पहुँचती है और दो फैसलों के बारे में सूचना देती है। पहले जिसमें सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला था और दूसरा जिसमें सरकार बनाने का दावा था और बीजेपी के समर्थन की चिट्टी थी।

3 जून 1995 को सीएम की शपथ लेती मायावती.

तब राज्यपाल मोतीलाल वोहरा का जवाब था आपको सही समय पर सूचित किया जाएगा। सरकार गिराने की खबर सुन कर मुलायम सिंह यादव आग-बबूला हो गए। 2 जून 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में जहां मायावती अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थी वहाँ मुलायम ने अपने तमाम समर्थको को भेजा।

विधायकों को अपनी तरफ लाने का दिया था टास्क

इन समर्थकों को एक विशेष काम दिया गया था। बसपा नेता राज बहादुर के नेतृत्व में पहले ही बसपा के 12 विधायक टूट कर मुलायम सिंह के पक्ष में आ चुके थे। लेकिन दलबदल कानून के तहत एक तिहाई विधायकों का टूटना जरुरी था। तब बसपा के पास 67 विधायक और एक-तिहाई 23 विधायकों को तोड़ने की जरुरत थी जिसमें 12 पहले ही आ चुके थे। बाकी 11 विधायकों को अपने तरफ लाने के लिए बाहुबलियों की पूरी फौज को स्टेट गेस्ट की ओर रवाना किया गया।

दोपहर को गेस्ट हाउस के सुइट नंबर एक और दो में मायावती अपने पार्टी के नेताओं की साथ मीटिंग कर रही थी तभी इन बाहुबलियों का जमावड़ा गेस्ट हाउस पहुंचा। यह लोग गेस्ट हाउस में जाकर दरवाजा पीटते है, जान से मारने की धमकी देते है और जाति सूचक शब्दों की गाली देते है।

कांशीराम और मायावती.

तब समाजवादी पार्टी के समर्थक कमरा नम्बर 2 के दरवाजे को लगातार तोड़ने का प्रयास कर रहे थें । इस बीच बीजेपी के कुछ नेता और कार्यकर्ता भी वहां पहुंच गयें और सपा कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास करने लगें। इस पूरे प्रकरण में हीरो बनकर उभरें थे बीजेपी के एक नेता ,ब्रह्मदत्त द्विवेदी।

कांशीराम ने कहा था “सबसे मुश्किल इम्तिहान”

ब्रह्मदत्त द्विवेदी, बचपन से संघ के स्वयंसेवक थे और शाखा में जाते थे वहाँ वह लाठी चलाने की कला में माहिर हो गए थें। इसका प्रयोग उन्होंने गेस्ट हाउस कांड के दौरान किया। तब के मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सपा कार्यकर्ताओं से मायावती को बचाने के लिए ब्रह्मदत्त द्विवेदी अकेले ही सपा कार्यकर्ताओं से भिड़ गयें थे। इस दौरान उन्होंने एक सपा कार्यकर्ता से ही छीनी हुई लाठी की मदद से कमरे का दरवाजा तोड़ने से रोका जिसमें मायावती बंद थी।

ब्रह्मदत्त द्विवेदी की 10 फरवरी 1997 को दो बाइक सवार लोगों ने गोलियां मार कर हत्या कर दी। इस हत्याकांड में सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह को दोषी ठहराया गया था ।

यूपी पुलिस के कुछ पुलिसवाले और अधिकारी जो वहां तैनात होते है। वह मुख्यमंत्री के मौखिक आदेश को मानने से इंकार करते हुए अपने फर्ज का पालन करते है। शाम को लखनऊ के डीएम राजीव खेर और सिटी एसपी राजीव रंजन गेस्ट हाउस पहुंचे, उन्होंने बड़ी मुश्किल से भीड़ को हटाया, राज्यपाल के आदेश के बाद अतिरिक्त पुलिस बल आया। बहुत समझाने के बाद मायावती रात को सुइट से बाहर निकली।

2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मायावती और मुलायम सिंह यादव .

भीतर की बिजली-पानी काट दी गई थी और विधायक काफी डरे हुए थे। तब कांशीराम ने कहा था कि यह मायावती का सबसे मुश्किल राजनैतिक इम्तिहान था और वह उसमें पास हो गई है। 3 जून 1995 को राज्यपाल मोतीलाल वोहरा ने मायावती को मुख्यमंत्री के पद कि शपथ दिलवाई , देश के सबसे बड़े राज्य की पहली दलित मुख्यमंत्री मायावती बनी।

स्पीकर ने किया था विधानसभा भंग

बीजेपी और मायावती की दोस्ती की शुरुआत गुडग़ांव में अटल बिहारी वाजपेयी और जयंत मल्होत्रा की मुलाक़ात से शुरू हुए थी। तब लालकृष्ण आडवाणी इस गठजोड़ के खिलाफ थे और यूपी में उनके शिष्य कल्याण सिंह तो कतई खिलाफ थे। लेकिन बाद में राजनीतिक मजबूरियों  का हवाले देते हुए बाद में उन्हें साथ ले लिया गया। मायावती ने सत्ता में आते ही गेस्ट हाउस काण्ड की जांच के लिए समीति का गठन किया। वरिष्ठ आईएएस रमेश चंद्रा की अध्यक्षता में बनी समीति ने अपनी जांच में मुलायम सिंह समेत 74 लोगों को नामित किया था।

मायावती सीएम तो बन गई थी पर विधानसभा में बहुमत साबित करना बाकी था, 19 जून 1995 को विधानसभा में सत्र बुलाया गया। तब सदन के स्पीकर थे समजवादी पार्टी के नेता धनीराम राम वर्मा। वर्मा ने सत्र शुरू होते ही कहा “राज्यपाल ने जो फैसला किया है, मुलायम सिंह को बर्खास्त करने का और मायवती को सीएम बनाने का यह संविधान के खिलाफ है, इसलिए इस फैसले को ख़ारिज किया जाता है और सदन को बर्खास्त करने का फैसला किया जाता है” स्पीकर के यह ऐलान करते ही सपा के विधायक सदन से बॉयकाट कर गए।

तब सदन में बसपा, भाजपा, कांग्रेस और जनता दल के मिलाकर सदन में 275 विधायक मैजूद थे इन्होने स्पीकर का चुनाव फिर से किया , बसपा के बरखुराम वर्मा विधानसभा के नए स्पीकर बने और 20 जून बहुमत साबित कर मायावती सीएम बनी।

साल 2019 में सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर लिया था, तब मायावती ने मुलायम सिंह यादव के ऊपर से गेस्ट हाउस काण्ड का मुकदमा वापस ले लिया था.

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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