India News UP(इंडिया न्यूज़), Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर सामने निकलकर आई है। जहां कोर्ट ने 1 कुटुंब अदालत के फैसले के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए, 2004 में 12साल के 1 लड़के और 9 साल की एक लड़की के बाल विवाह को अमान्य घोषित किया है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी.रमेश की पीठ ने गौतमबुद्ध नगर की 1 कुटुंब अदालत के फैसले के खिलाफ संजय चौधरी नाम के व्यक्ति की अपील पर आदेश पारित हुआ ।
आयु करीब 9 साल थी
आपको बता दें कि कुटुंब अदालत में दायर मुकदमे में अपील कर्ता ने 28 नवंबर 2004 को हुए अपनी शादी को अमान्य घोषित किए जाने का अनुरोध किया था, जिसको अदालत ने खारिज कर दिया था।कुटुंब अदालत में साबित तथ्यों के अनुसार , अपीलकर्ता का जन्म 7 अगस्त, 1992 को हुआ।जबकि प्रतिवादी (उसकी पत्नी) का जन्म 1 जनवरी 1995 को हुआ था और 28 नवंबर 2004 को दोनों की शादी हुई। विवाह के समय अपीलकर्ता की आयु लगभग 12 साल थी,जबकि प्रतिवादी की आयु करीब 9 साल थी।
मुकदमे को दायर करने में सक्षम था
पीठ ने अपने 47 पन्नों के फैसले में बताया कि मुकदमा समय सीमा के भीतर दायर किया गया और अपीलकर्ता पति स्वयं इस मुकदमे को दायर करने में सक्षम था। यह वाद 1 सक्षम अदालत के समक्ष दायर किया गया। इसलिए अधीनस्थ अदालत ने उस मुकदमे को खारिज कर गलती की। अदालत ने बताया जहां तक समय सीमा की बात है। उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विचार करते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह मुकदमा दायर करने के लिए अपीलकर्ता के पास 23 साल तक की आयु की समयसीमा उपलब्ध थी।
1 महीने के अंदर भुगतान करें
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अदालत ने यह भी बताया कि मुकदमा दायर करने की तिथि पर अपीलकर्ता की आयु 23 साल से कम थी। इस प्रकार से अधीनस्थ अदालत का आदेश बरकरार नहीं रह सकता.।इसे निरस्त किया जाता है। दोनों पक्षों के बीच हुए बाल विवाह को अमान्य घोषित किया जाता है. अपीलकर्ता प्रतिवादी को 25 लाख रुपये का 1 महीने के अंदर भुगतान करें।