India News (इंडिया न्यूज़), Chandramani Shukla, लखनऊ: लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर मुसलमान वोटरों पर राजनीतिक खींचतान देखी जा रही है। इस बार यह खींचतान इसलिए और भी बढ़ गई है क्योंकि इस बार यूपी में भाजपा भी मुस्लिम वोटरों पर दावेदारी कर रही है। इसके पहले ऐसा देखा गया है कि इस खास तबके के अधिकतर हिस्से के वोटो का बंटवारा सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच ही होता था। जिसमें समाजवादी पार्टी को इस वर्ग का खास समर्थन मिलता रहा है। अब जब भाजपा पसमांदा मुस्लिम के बहाने सपा के सबसे मजबूत वोटबैंक पर चोट कर रही है तब सपा ने भी इसके जवाब में खास योजना बनाई है। बीते दिनों हुए समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक सम्मेलन में भी इस मुददे पर सबसे अधिक चर्चा की गई। साथ ही इस सम्मेलन में भाजपा के पसमांदा मुसलमानो को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के जवाब में किस तरह की रणनीति अपनानी है उसको लेकर विशेष प्लान तैयार किया गया है।
दरअसल, बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक अलग रणनीति पर काम कर रही है। इस बार माना जा रहा है कि बीजेपी पहले के मुकाबले ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। ऐसी जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि पार्टी ने देश में 66 सीटें ऐसी चिन्हित की है जहां पर मुस्लिम आबादी का दबदबा है। इस वजह से पार्टी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। अगर 66 सीटों की बात करें तो उसमें यूपी और बंगाल 13-13, इसके अलावा केरल और असम की 6-6, जम्मू-कश्मीर में 5, बिहार में 4, मध्य प्रदेश में 3,तेलंगाना और हरियाणा में 2-2, दिल्ली, गोवा और महाराष्ट्र और लक्षद्वीप में एक-एक सीट चिन्हित कर विशेष रणनीति तैयार की जा रही है।
इन्हीं चिन्हित सीटों में उत्तर प्रदेश के लिए भाजपा ने पसमांदा समाज के बहाने एक विषेश प्लान तैयार किया है। प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 20% के आस पास है लेकिन इसके बावजूद 2014 के चुनाव में प्रदेश की 80 सीटों में भाजपा गठबंधन ने 73 सीटें जीतीं लेकिन कोई सासंद मुस्लिम चुनकर नहीं आया। ऐसा ही कुछ 2019 के चुनाव का भी परिणाम रहा। भाजपा का कोई भी सांसद मुस्लिम नहीं है। इसी को देखते हुए भाजपा अब अपने पाले में मुसलमानों को भी लाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसके जवाब में समाजवादी पार्टी ने भी अपनी कमर कस ली है । पार्टी के अल्पसंख्यक सम्मेलन में भाजपा के पसमांदा समाज को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों के जवाब में समाजवादी पार्टी ने एक विशेष कार्यक्रम तैयार किया है। जिसके तहत समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता घर घर जाकर मुस्लिम समाज के लोगों को जोड़ेंगे और भाजपा के कार्यक्रमों को साजिश बता कर लोगों को समझाएंगे।
अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के लिए इसलिए और भी सचेत दिख रहें हैं क्योंकि भाजपा ने नगरी निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। जिसमें 61 को जीत मिली उनमें पांच मुस्लिम प्रत्याशी नगर पंचायत अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। यानी प्रदेश में भाजपा मुस्लिम समाज में भी पैठ बना रही है। अब जब भाजपा पसमांदा समाज में अपनी मौजूदगी दर्ज कर रही है तब सपा के लिए यह खतरे की घंटी हो सकती है क्योंकि क्योंकि प्रदेश के 20% मुसलमान में 75 से 80 फीसदी हिस्सा पसमांदा मुसलमानों का है। वह अगर ये समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ते हैं तो उसकी सियासी हैसियत में भारी कमी आएगी। इसी को देखते हुए समाजवादी पार्टी की ओर से अब जमीनी स्तर पर भी कार्यक्रम चलाए जाएंगे। जिनके बाद देखने वाला यह होगा कि इसका लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ता है।
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