India News (इंडिया न्युज),Chandramani Shukla, Lucknow/उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी मामले को लेकर दिए गए बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। सीएम योगी ने जहां एक इंटरव्यू में कहा कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा। अब इस बयान का लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा यह तो भविष्य बताएगा लेकिन इसका असर उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी पर अभी से पढ़ता हुआ दिख रहा है। इसी के चलते सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सीएम योगी के बयान का जवाब देने के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई है।
एक तरफ जहां मामला कोर्ट में है, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ज्ञानवापी मामले में बयाना आना। राजनीतिक विश्लेषक इसके कई मायने निकाल रहे हैं तो कुछ इसे लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव अच्छी तरह से समझते हैं कि विपक्ष की प्रतिक्रिया के बाद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी हो सकता है। इसी को देखते हुए अखिलेश नहीं चाहते कि भाजपा को किसी तरह का फायदा मिले क्योंकि ऐसा पहले देखा गया है कि हिंदू धर्मिक आस्था से जुड़े मुद्दों पर विरोधी नेताओं की टिप्पणियों से बीजेपी को फायदा मिलता रहा है।
कुछ मामलों में जहां विपक्ष ने इस मुद्दे पर सतर्कता दिखाई है वहां भाजपा को नुकसान भी उठाना पड़ा है अभी हाल में ही हुआ कर्नाटक का विधानसभा चुनाव इसका ताजा उदाहरण है। जहां बजरंग दल की तुलना हनुमान जी से करना बीजेपी को भारी पड़ा था और चुनाव में उसे कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था। अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश में कुछ वैसा ही प्रयोग करना चाहते हैं इसी के चलते उन्होंने पार्टी प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्टों की एक बैठक बुलाई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बैठक में जहां पार्टी प्रवक्ताओं के साथ बात करेंगे साथ ही इस बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि किस तरह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से बचा जा सके। इसके अलावा इस तरह के मुद्दों पर पार्टी का क्या स्टैंड होगा। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी किस रणनीति पर काम कर रही हैं और किस पार्टी के खिलाफ बोलना है? किसके समर्थन में बोलना है ? इस पर भी चर्चा होगी।
इस चर्चा का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कई दलों के साथ सपा के गठबंधन की गुंजाइश बनी हुई है। इन सब मुद्दों के अलावा सबसे अहम राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा का कैसे जवाब देना है? यह भी इस बैठक में तय किया जाएगा। वहीं मुलायम सिंह यादव के राज में कारसेवकों पर गोली चलाने वाले मुद्दे पर भाजपा के लोगों को कैसे जवाब देना है? उस पर भी समाजवादी पार्टी अपने प्रवक्ताओं के लिए एक सटीक जवाब खोजने की कोशिश करेगी।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ताओं की इस बैठक में कई तरह के विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है। जिसमें सोशल मीडिया के जानकारों के अलावा राजनीतिक व सामाजिक रूप सक्रीय लोगों को भी बुलाया गया है। ऐसी जानकारी मिल रही है कि इस बैठक में यूपी के पूर्व मुख्य सचिव रहे आलोक रंजन को भी बुलाया गया है।
इस बैठक में अखिलेश यादव खुद प्रवक्ताओं से बातचीत करेंगे साथ ही इस मुद्दे पर भी बात करेंगे कि किस तरह से अपनी बातों को असरदार तरीके से आम जनता तक पंहुचाया जाए, जिससे बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया जा सके। इसके साथ ही पार्टी प्रवक्ताओं को समाजवादी पार्टी की रिसर्च टीम जरूरी डाटा भी उपलब्ध कराएगी। जिससे प्रवक्ता अपना पक्ष मजबूती से रख सकें।
वहीं PDA यानी पिछड़ा,दलित,अल्पसंख्यक-मुसलमान के मुद्दे को लेकर भी इस वर्ग से जुड़ी घटनाओं को कैसे प्रकाश में लाया जाए इस पर भी बात होगी। साथ ही अखिलेश सरकार में कौन-कौन से काम किए गए इसको लेकर भी पार्टी प्रवक्ताओं को कैसे अपने पक्ष को रखना है इसकी भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
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