India News (इंडिया न्यूज), Maha Kumbh 2025: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के माध्यम से सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया गया कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के संकेतक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के प्रवाह को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया था।

3 फरवरी को एक रिपोर्ट दायर की थी

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में नदी के पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिससे अपशिष्ट जल की मात्रा बढ़ जाती है।’
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पीठ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के पहले के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया है।

एनजीटी ने एक दिन का समय दिया

पीठ ने कहा, ‘यूपीपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी द्वारा 28 जनवरी को भेजे गए पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी ऐसा प्रतीत होता है कि विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर पाया गया है।’ एनजीटी ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट देखने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने कहा, ‘यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकरण को 19 फरवरी को अगली सुनवाई में डिजिटल रूप से पेश होने का निर्देश दिया जाता है।’