India News (इंडिया न्यूज़),Mahakumbh 2025: महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था के तगड़े इंतजाम किए गए हैं। इसको लेकर आप NSG पूरी तरीके से महाकुंभ को अपने हाथों में ले चुकी है । एनर्जी कमांडों ने पूरे चारों तरफ यह देख रही है कि आखिर कैसे इस बार के महाकुंभ को सुरक्षित बनाया जा सकें। nsg की कई टीम में इस बार महाकुंभ में लगाई गई है। एनर्जी कमांडो खुद एक जगह उतरकर देख रहे हैं कि आखिर सुरक्षा व्यवस्था कैसे की जा सकती है और कैसे यहां पर किसी भी तरीके से अनहोनी ना हो सके।
महाकुंभ के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था
उत्तर प्रदेश सरकार ने नए साल की शुरुआत में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की है, जिसके तहत 100 मीटर पानी के अंदर और 120 मीटर जमीन से ऊपर निगरानी करने में सक्षम ड्रोन तैनात किए जाएंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, इस भव्य आयोजन में 45 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के शामिल होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ के दौरान पहली बार संगम क्षेत्र में पानी के अंदर ड्रोन तैनात किए जाएंगे और ‘टेथर्ड ड्रोन’ हवाई क्षेत्र की सुरक्षा करेंगे। इस साल अयोध्या में राम मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान पहली बार तैनात किए गए एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल महाकुंभ के दौरान भी किया जाएगा।
सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम
उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि संगम स्नान के दौरान हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। ये पानी के अंदर निगरानी करने वाले ड्रोन संभवत: चौबीसों घंटे निगरानी करेंगे और ये कम रोशनी में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 100 मीटर की गहराई पर काम करने में सक्षम ये ड्रोन किसी भी स्थिति में सटीक जानकारी देने में सक्षम हैं। पुलिस महानिरीक्षक (पूर्वी क्षेत्र, प्रयागराज) राजीव नारायण मिश्रा ने हाल ही में हाई-स्पीड और पानी के अंदर तैनात किए जा सकने वाले ड्रोन को लॉन्च किया। उन्होंने कहा, “यह अत्याधुनिक ड्रोन 100 मीटर तक गोता लगा सकता है और ‘एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र’ (ICCC) को तत्काल रिपोर्ट भेज सकता है।” उन्होंने कहा, “इसे असीमित दूरी से संचालित किया जा सकता है और यह पानी के अंदर किसी भी संदिग्ध गतिविधि या घटना के बारे में सटीक जानकारी देता है, ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके।”
पानी पर नजर रखने के लिए तैनाती
इसके अलावा पानी पर नजर रखने के लिए पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी), एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) के जवानों के साथ 700 से अधिक नावें भी तैनाती के लिए तैयार रहेंगी। सरकार ने कहा कि सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर रिमोट से नियंत्रित ‘लाइफबॉय’ (सुरक्षा उपकरण) तैनात किए गए हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, “ड्रोन रोधी प्रणाली रडार का उपयोग करके हवाई क्षेत्र को लगातार स्कैन करती है, ताकि अज्ञात हवाई वस्तुओं का पता लगाया जा सके।” उन्होंने कहा, “यदि संभावित खतरे का पता चलता है, तो उच्च-रिज़ॉल्यूशन ऑप्टिकल सेंसर ड्रोन की प्रकृति और इरादे का आकलन करते हैं। रेडियो आवृत्तियों को जाम करने जैसे प्रतिवाद इसके नेविगेशन को बाधित कर सकते हैं और इसे निष्क्रिय कर सकते हैं।” अधिकारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमलावर ड्रोन प्रतिबंधित वस्तुओं, हथियारों या निगरानी उपकरणों को ले जाकर सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं। एक अन्य अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “हाई-डेफिनिशन कैमरों से लैस ये ड्रोन मेला क्षेत्र में ICCC को सीधा फ़ीड प्रदान करते हैं। इससे अधिकारियों को भीड़ के प्रवाह की निगरानी करने और आपात स्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने में मदद मिलती है।”
एआई-सक्षम कैमरे भीड़ की आवाजाही का करेंगे विश्लेषण
अधिकारी ने कहा, “उनकी निगरानी क्षमता मेला क्षेत्र से परे रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों और हवाई अड्डों जैसे अन्य महत्वपूर्ण स्थानों तक फैली हुई है, ताकि संभावित भीड़ का प्रबंधन किया जा सके।” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया है। अधिकारी ने कहा, “मुख्यमंत्री महाकुंभ आयोजन की पारंपरिक पहचान को बनाए रखते हुए आधुनिक प्रणालियों को एकीकृत करके सुरक्षा के लिए एक नया वैश्विक मानक स्थापित करना चाहते हैं।” ड्रोन के अलावा, एआई-सक्षम कैमरे भीड़ की आवाजाही का विश्लेषण करेंगे, भीड़भाड़ का अनुमान लगाएंगे और लोगों की संख्या की तुरंत गणना करने में सक्षम होंगे। यह फेशियल रिकग्निशन तकनीक सुरक्षा को और मजबूत करेगी। एक अधिकारी ने कहा, “एआई सिस्टम एक तकनीकी आंख की तरह काम करता है, जो अधिकारियों को चुनौतियों से निपटने में मदद करता है।” नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “उदाहरण के लिए, टेथर्ड ड्रोन न केवल अनधिकृत उड़ने वाली वस्तु के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे, बल्कि सटीक अक्षांश और देशांतर के संदर्भ में इसके ऑपरेटर का स्थान भी बताएंगे।”