India News (इंडिया न्यूज़),milkipur by election: उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। ऐसे में सपा और भाजपा में अंदरूनी कलह सतह पर आ रही है। वहीं पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी और पार्टी के जिला महासचिव राधेश्याम त्यागी का भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान के नामांकन से दूरी बनाना अंदरूनी कलह की ओर इशारा कर रहा । दोनों दलों की अंदरूनी उठापटक के चलते मिल्कीपुर के चुनावी समीकरण दिन प्रतिदिन बदलते नजर आ रहे हैं। भाजपा में टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी। इसलिए कयास लगाए जा रहे थे कि टिकट की घोषणा के बाद कुछ दावेदारों के सुर बदल सकते हैं।
भाजपा में भी अंदरूनी कलह के संकेत
2017 में भाजपा से विधायक चुने गए गोरखनाथ बाबा 2022 में चुनाव हार गए लेकिन उपचुनाव का मौका आने पर क्षेत्र में सक्रिय रहे। उपचुनाव में टिकट कटने के बाद अब उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ गया है। गुरुवार को भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मिल्कीपुर में आयोजित जनसभा से लेकर नामांकन तक उनका नदारद रहना अंदरूनी कलह की ओर इशारा कर रहा है। जबकि बुधवार की शाम प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही स्वयं पूर्व विधायक के घर नामांकन में शामिल होने का निमंत्रण लेकर पहुंचे थे।
दिन प्रतिदिन बदल रहे समीकरण
प्रभारी मंत्री के निमंत्रण के बावजूद पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी भी नामांकन सभा में नहीं पहुंचे। नामांकन में भाजपा के जिला महामंत्री राधेश्याम त्यागी समेत कई अन्य टिकट दावेदारों का नदारद रहना भाजपा में मची उथल-पुथल को दर्शा रहा है। वहीं टिकट की घोषणा के बाद जिले के तीनों विधायकों वेद प्रकाश गुप्ता, रामचंद्र यादव व डा. अमित सिंह चौहान ने चंद्रभानु को सोशल मीडिया पर बधाई नहीं दी और प्रत्याशी के नामांकन पोस्टर से जिले के तीनों विधायकों समेत कई दिग्गजों के फोटो गायब रहे, जिससे भाजपा में भी गुटबाजी की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की सभा के बाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद के नामांकन में सपा के दिग्गजों की एकता दिखी, लेकिन टिकट के दावेदार सूरज चौधरी ने बगावती सुर अपनाते हुए आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए। हालांकि जानकारों का कहना है कि मंच और सार्वजनिक कार्यक्रमों में एकता दिखाने वाले मिल्कीपुर के वरिष्ठ सपा नेताओं के अंदरखाने सुर अलग-अलग हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है। ऐसे में देखना यह है कि अंदरूनी कलह से जूझ रहे दोनों दलों में जीत किसकी होती है।