India News (इंडिया न्यूज़) (Akash Dubey) Mirzapur : कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता है लेकिन जब जिंदगी बचाने वाला ही लापरवाही की इंतहा कर दे तो क्या करें, किसके पास जाएं। आरोप है कि मिर्जापुर के सौ शैय्या युक्त मातृ एवं शिशु अस्पताल में डॉक्टर की गलती से नवजात शिशु के हाथ का अंगूठा कट गया। जिसके बाद इलाज करने के बजाय डॉक्टर ने उसको चुपचाप तरीके से टेप बांधकर परिवार के लोगों से कहा कि बस खरोंच लगी है। बच्ची के नाना डॉक्टर के पास इलाज के लिए गिड़गिड़ता रहा लेकिन बच्चे की सुध किसी ने नहीं ली।

लोगो की सहूलियत के लिए खुला अस्पताल, बयां कर रहा लापरवाहियों की कहानी

बता दें, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में आम जनता की सहूलियत के लिए सौ शैय्या युक्त मातृ एवं शिशु अस्पताल बनवाया गया था। हालांकि बनने के बाद इस हॉस्पिटल से आए दिन अनियमितताओं की शिकायत सामने आती रहती है, लेकिन जिला प्रशासन ने अपनी आंखे बंद कर रखी है। तभी तो आजतक किसी ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। ताजा मामला भी यहां के डॉक्टरों की लापरवाही बयान करने के लिए काफी हैं। जहां जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर हलिया से बड़ी उम्मीद के साथ इंद्र बहादुर पटेल अपनी बेटी को अस्पताल लेकर आए थे लेकिन डॉक्टर की लापरवाही ने उन्हें सोचने को मजबूर कर दिया है।

डॉक्टर ने नहीं दी सही जानकारी

हलिया के मधोर गांव की रहने वाली प्रियंका को हलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर होने के बाद परिजन 100 शैय्या मातृ व शिशु अस्पताल ले आये, जहां पर बच्ची पैदा हुई। तीन अगस्त को बीगो निकालते वक्त डॉक्टर और नर्स के लापरवाही की वजह से नवजात शिशु के अंगूठा का ऊपरी भाग कट गया। जिसके बाद खून बहने लगा और शिशु रोने लगी। परिजनों ने पूछा तो डॉक्टर एस.पी.गुप्ता ने कहा कि हल्का खरोंच लग गया है, दिक्कत की बात नहीं है। उसके बाद पट्टी बांधकर ऐसे ही छोड़ दिया। अगले दिन जब डॉक्टर से पूनः देखने के लिए कहा गया तो डॉक्टर ने इंकार कर दिया।

अंगूठा काटने की आ गई है नौबत

बच्ची के नाना इंद्र बहादुर पटेल ने बताया कि डॉक्टर एस.पी.गुप्ता से जब भी बच्ची के अंगूठे के बारे में पूछते थे तो वो डांटकर भगा देते थे। हमने कहा कि यदि समस्या हो तो कहीं रेफर कर दीजिए लेकिन अस्पताल प्रशासन ने एक नहीं सुनी। बातचीत में नर्स ने बताया कि सोमवार को डॉक्टर आयेंगे तो देखेंगे, लेकिन शिशु के अंगूठे की खराब हालत को देखते हुए इन लोगों से रविवार को ही अस्पताल से छुट्टी देकर निकाल दिया और हमें कोई जानकारी नहीं दी।

हमने बहुत मिन्नते भी की लेकिन एक न सुनी। परिजन बच्ची को लेकर घर चले गए। घर जाने के बाद जब नवजात का हाथ का अंगूठा नीला पड़ने लगा तो परिजन इलाज के लिए मंडलीय अस्पताल लेकर आये। जहां डॉक्टरों ने इलाज कर स्टीचेज तो किया है, लेकिन अब नवजात का अंगूठा जुड़ने की उम्मीद कम है। बच्ची के नाना इंद्र बहादुर पटेल ने बताया कि अगर डॉक्टर समय रहते बता देते तो आज ऐसी समस्या नही होती। हम लोगों ने मंडलीय अस्पताल में दिखवाया है, जहां डॉक्टर ने कहा कि उंगली जुड़ने की संभावना कम है। दो दिन बाद यह ठीक नही होगा तो इसे काटना पड़ेगा।

डॉक्टर ने कहा, मेरी नही नर्स की है गलती

इस लापरवाही को अंजाम देने वाले आरोपी डॉक्टर एसपी गुप्ता अपना पल्ला छुड़ाते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि नर्स के द्वारा बीगो निकालते वक्त अंगूठा कट गया था। अंगूठा कटने के बाद हमारे पास लाया गया तो हमने पट्टी कर दिया। इसमें नर्स की गलती है। परिजनों ने जब सवाल किया कि इस घटना के बाद चार दिन नवजात शिशु एडमिट रही इस दौरान आपने क्या किया? तो डॉक्टर ने कहा कि हमने देखा ही नहीं की अंगूठा कटा है। हमें लगा कि हल्का खरोंच है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कोई डॉक्टर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकता है।

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