India News UP (इंडिया न्यूज़), Moradabad News: इस समय पूरे देश में बारिश का माहौल है। वही यूपी के कुछ शहर में बाढ़ जैसा माहौल है। वही मुरादाबाद में हालत बहुत खराब है। गांव में पानी घुसा गया है।
ग्रामीणों ने दी जानकारी
मुरादाबाद में बाढ़ से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो गई। कई गांवों में घरों में पानी घुस गया है। कूची के घर टूट रहे हैं तो कहीं भूखे मवेशी हैं। जिला प्रशासन ने कहा कि उसने बाढ़ प्रभावित गांवों की निगरानी और सहायता के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया है। बाढ़ से जूझ रहे ग्रामीणों ने बताया कि कोई भी सरकारी अधिकारी उन्हें देखने नहीं आया और अगर कोई सरकारी अधिकारी कुछ गांवों में पहुंचा भी तो दूर से बहते पानी को देखकर वापस लौट गया। ग्रामीणों का कहना है कि मदद करना तो दूर, साहब ने गाड़ी से बाहर तक नहीं निकले और न ही ग्रामीणों से बात की।
मूंढापांडा का हिरनखेड़ा गांव पिछले चार दिनों से बाढ़ की चपेट में है। हिरनखेड़ा-जैतपुरा-बिसाहट मार्ग पिछले चार दिनों से जलमग्न है और पानी बह रहा है। सड़क पर करीब 3-4 फीट पानी है। मुरादाबाद के मूंढापांडा, भोजपुर पीपलसन, ठाकुरद्वारा और कुंदरकी के कई गांवों में बाढ़ पहुंच गई है। बाढ़ की समस्या से लोग परेशान हैं, कहीं नावें तैर रही हैं, कहीं लोग बीमार पड़ रहे हैं, बच्चों वाले लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर पांच फीट पानी में चलना पड़ रहा है।
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अधिकारियों ने एडीएम के नेतृत्व में किया काम
प्रशासन के अधिकारियों ने एडीएम वित्त सत्यम मिश्र के नेतृत्व में टीमें रवाना कर बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य शुरू कराया। हिरनखेड़ा निवासी ग्रामीण राजेंद्र सिंह ने बताया कि बाढ़ के कारण करीब 15 घर जलमग्न हो गए हैं। यहां बहुत नुकसान हुआ, एक भी अधिकारी यहां नहीं आया, हमारी चावल और गन्ने की फसलें नष्ट हो गईं। पौधे पानी में डूबे हुए थे। हमें मुआवज़ा मिलना ही चाहिए। पानी कम होने पर बीमारी फैलने का खतरा है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आकर जायजा लें।
मुरादाबाद बाढ़ विभाग के प्रवक्ता राजेश कुमार ने कहा कि पानी की कमी वाले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। नदी ने दो गांवों का कटान शुरू कर दिया है। हम कटान रोकने के लिए काम कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग टूटी सड़कों की मरम्मत का कार्य करेगा। हम कटान रोकने के लिए काम कर रहे हैं। जैसे-जैसे पानी घटता है, किनारे दिखाई देने लगते हैं। कल 78 हजार क्यूबिक सेकेंड पानी छोड़ा गया। आज यह घटकर 26,000 क्यूसेक पर आ गया है। किसानों को हर साल इस समस्या का सामना करना पड़ता है, जिससे फसल का भारी नुकसान होता है।
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