India News (इंडिया न्यूज),Noida Police: उत्तर प्रदेश की गौतमबुद्ध नगर कोर्ट के आदेश पर ग्रेटर नोएडा में फर्जी एनकाउंटर के मामले में जेवर कोतवाली के तत्कालीन थाना प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी वारंट के उसके बेटे को घर से उठा लिया। उसके साथ मारपीट की गई। इतना ही नहीं इसे फर्जी मुठभेड़ का रूप दे दिया गया। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है। फर्जी मुठभेड़ के आरोप में कोर्ट के आदेश पर कोतवाली जेवर के पूर्व थाना प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद जेवर कोतवाली पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज मुकदमे में कई आरोपी पुलिसकर्मी अभी भी जिले में तैनात हैं। दरअसल गौतमबुद्ध नगर कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फरवरी माह में जेवर के तत्कालीन थाना प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ के आरोप में मुकदमा दर्ज करने का आदेश पुलिस को दिया था।
कोर्ट ने थानाध्यक्ष को मुकदमा दर्ज करने से पहले पुलिस कमिश्नर से परमिशन लेने को कहा था। कमिश्नर के आदेश के बाद अब मामला दर्ज कर लिया गया है। यूपी के मथुरा निवासी तरुण गौतम ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। आरोप है कि 4 सितंबर 2022 को देर शाम कुछ पुलिसकर्मी बिना वर्दी और बिना किसी वारंट के उसके घर पहुंचे। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए उसके साथ गाली-गलौज की। उसके बाद घर में तोड़फोड़ की और अलमारी से 22 हजार रुपए निकाल लिए। फिर उसे जबरन गाड़ी में डालकर अज्ञात स्थान पर ले गए और मारपीट की।
पुलिसकर्मियों ने पूछा कि उसका बेटा कहां है। पुलिस ने बताया कि थाना जेवर क्षेत्र के नीमका गांव में एक हत्या हुई है, जिसमें उसके बेटे का नाम आया है। इस पर पीड़ित ने बताया कि उसका बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा है और दिल्ली में कोचिंग लेता है। पुलिसकर्मी बेटे सोमेश गौतम की तलाश में उसे दिल्ली ले गए। जहां उसके बेटे को बुरी तरह पीटा गया और जबरन थाना जेवर ले आए।
पीड़ित का कहना है कि पुलिस उसके बेटे को अज्ञात स्थान पर ले गई। वहां उन्होंने उसके बेटे की आंखों पर पट्टी बांध दी और उसके पैर में गोली मार दी। पुलिस ने इस घटना को फर्जी मुठभेड़ का रूप दे दिया। इसके बाद उसके खिलाफ कई फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए। पीड़ित का आरोप है कि उसने इस घटना की शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की, लेकिन मामले में उनकी तरफ से कोई सुनवाई नहीं हुई।