India News (इंडिया न्यूज) Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य, भव्य, स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित स्वरूप देने के लिए प्रदेश की योगी सरकार तकनीक और इनोवेशन का सहारा ले रही है। महाकुंभ को डिजिटल स्वरूप दिया जा रहा है। इससे समय की बचत होगी, मितव्ययिता बढ़ेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। अब सनातन धर्म के ध्वजवाहक 13 अखाड़े भी सरकार के नक्शेकदम पर चल पड़े हैं। डिजिटल युग में अखाड़े भी डिजिटल हो रहे हैं।
सनातन धर्म के ध्वजवाहक 13 अखाड़े अपनी समृद्ध धार्मिक परंपराओं को सहेजते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। डिजिटल युग के मौजूदा दौर में इन अखाड़ों ने भी अपने प्रबंधन में डिजिटलाइजेशन की मदद लेनी शुरू कर दी है। अखाड़े अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है कि हमारे अखाड़े में कंप्यूटर और लेजर दोनों का इस्तेमाल हो रहा है। इससे अखाड़े के ऑडिट में काफी मदद मिलती है।
इनकम टैक्स फाइलिंग के लिए जो भी रिकॉर्ड रखने होते हैं वे इसी डाटा बेस में रखे जाते हैं। इससे फाइल चार्टर्ड अकाउंट से शेयर की जाती है। श्री पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि महाकुंभ में हमारे अखाड़ों का ऑडिट होता है। एक समय था जब हम ऑडिट के लिए लेजर से इसकी जानकारी देते थे लेकिन अब हम सभी के पास गैजेट हैं। हमारा अखाड़ा संस्कृत विद्यालय भी चलाता है।
इन स्कूलों में छात्रों की संख्या से लेकर स्कूल की आय और व्यय की पूरी जानकारी हम इस डेटाबेस के माध्यम से एकत्र करते हैं।
सनातन धर्म के 13 अखाड़े न केवल आध्यात्म, भक्ति और साधना के प्रचारक और प्रसारक हैं, बल्कि उनके आचार्यों द्वारा वैश्विक स्तर पर कई वैश्विक अभियान भी चलाए जा रहे हैं। आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरि जी का कहना है कि धर्म के साथ-साथ संत मानवता को बचाने के लिए भी काम कर रहे हैं। इसके तहत वे वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाने का अभियान चला रहे हैं, जिसका डेटाबेस भी बनाया जा रहा है। इससे उनका समय बचता है, पारदर्शिता स्थापित होती है और प्रबंधन में भी मदद मिलती है।
आदिवासी एवं वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में डाटा बेस उपयोगी साबित होगा। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के महा मंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती जी का कहना है कि अन्वेषण एवं विस्तार के लिए अखाड़ों को डिजिटल युग के अनुरूप इसे स्वीकार करना होगा। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को जागृत करने एवं उन्हें सनातन धर्म की परंपरा से जोड़ने के लिए उनकी आदिवासी विकास यात्राओं का अनुभव भी यही है कि वंचित समाज में सनातन धर्म की जड़ें मजबूत करने के लिए उनकी जानकारी एकत्र कर उसका डाटाबेस तैयार करना जरूरी है। इसके लिए वे स्वयं प्रयास कर रहे हैं।
वैष्णव अखाड़े भी डेटाबेस बनाने पर सहमत हैं, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते अखाड़े कह रहे हैं कि आने वाले समय में इसे लागू किया जाएगा। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत राम जी दास का कहना है कि संन्यासी संप्रदाय के अखाड़ों की तरह वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए उन्हें ऑडिट की जरूरत नहीं है। लेकिन मौजूदा समय की सच्चाई यह है कि डिजिटल युग की दौड़ में वैष्णव अखाड़ों को भी अपने अखाड़ों का डेटाबेस बनाना होगा।
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