India News (इंडिया न्यूज़), Prayagraj Student Protest: प्रयागराज में छात्रों का आंदोलन लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। जहां इसी कड़ी में प्रयागराज में हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के गेट पर छात्रों के चार दिवसीय आंदोलन के दौरान भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों के खिलाफ यूपी पुलिस का कड़ा एक्शन जारी है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि कुछ टेलीग्राम चैनलों ने भड़काने वाले पोस्ट प्रसारित कर छात्रों को हिंसा के लिए उकसाने का प्रयास किया। इसी के चलते पुलिस ने इन चार टेलीग्राम चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
एफआईआर दर्ज हुए टेलीग्राम चैनल
- PCM ABHYAAS
- सामान्य अध्ययन Edushala
- Make IAS official
- PCS Manthan
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क्या है पूरा मामला?
छात्रों का यह प्रदर्शन पीसीएस-प्री और आरओ/एआरओ परीक्षा एक ही दिन में कराने की मांग को लेकर था। चार दिनों तक चले इस आंदोलन में करीब 20,000 छात्रों ने हिस्सा लिया और हालात उग्र हो गए। आंदोलन के दौरान छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी , जिसके चलते पुलिस को स्थिति संभालने में काफी मुश्किलें आईं। छात्रों के दबाव के बाद UPPSC ने परीक्षा को स्थगित कर दिया है और अब इसे एक ही पाली में कराने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, नई तारीख की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि इन टेलीग्राम चैनलों पर उकसाने वाले पोस्ट के जरिए छात्रों को हिंसा के लिए प्रेरित करने का आरोप है। सिविल लाइन्स थाने में लोक सेवा आयोग चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर कृष्ण मुरारी चौरसिया की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई है। बीएनएस 2023 की धारा 318 (4) और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 की धारा 66 के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने इन चैनलों के खिलाफ स्क्रीनशॉट और अन्य साक्ष्य संलग्न किए हैं और आगे की जांच कर रही है।
क्या था छात्रों की मांग
छात्रों की मांग थी कि पीसीएस-प्री और आरओ/एआरओ की परीक्षा एक ही दिन में आयोजित की जाए। आंदोलन के दौरान प्रशासन के साथ बातचीत विफल होने पर छात्रों ने प्रदर्शन को उग्र रूप दे दिया, जिससे कानून व्यवस्था को चुनौती मिली।
आगे की रणनीति
पुलिस अब टेलीग्राम चैनलों के एडमिन और अन्य जिम्मेदार लोगों की पहचान और गिरफ्तारी की प्रक्रिया में जुटी है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। प्रयागराज की यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग से कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। प्रशासन का यह कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की दिशा में एक सख्त संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।