Mahant Narendra Giri Case
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पूर्व महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद नए महंत बलबीर को विवादास्पद परिस्थितियों में भले ही 5 अक्टूबर को गद्दी मिल गई हो लेकिन प्रयागराज स्थित बाघम्बरी मठ में विवाद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों के अनुसार मठ के नए महंत बलबीर अन्य संतजनों से जरूरी सलाह मशविरे के लिए बनने वाली सुपर एडवाइजरी कमेटी के लिए तैयार नहीं हैं। बता दें कि संतों की यह कमेटी इस लिए बनाई जाती है कि महंत कोई भी फैसला लेने से पहले बोर्ड से सलाह करे। लेकिन महंत ने चादर चढ़ाए जाने की प्रक्रिया से एक दिन पूर्व ही उन कागजों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया जो सुपर एडवाइजरी बोर्ड के लिए तैयार करवाए गए थे।
हालांकि बलबीर पहले इसके लिए राजी थे परंतु समय पर मंहत के मना करने को लेकर मठ के पंच परमेश्वर व साधुओं में भारी रोष दिख रहा है। संतों में गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि रहस्यमयी हालातों में नरेंद्र गिरी की आत्महत्या होना, उसके बाद उनकी तीन वसीयतें सामने आना, जिन्में से अंतिम कथित वसीयत में बलबीर को गद्दी का उत्तराधिकारी बनाए जाने के साथ ही मठ की संपत्तियों को बाहर के व्यक्तियों के हवाले करने का जिक्र किया गया है। जो कि मठ से जुड़े संतों व अन्य के गुस्से का कारण बन गया है। बताते चलें कि इस तरह के किसी भी बोर्ड बनाने से पहले मठ के मुखिया की मंजूरी बहुत ही जरूरी होती है।
अखाड़े से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह मठ निरंजनी अखाड़े के तहत आता है। पंचपरमेश्वरों और मठ के अन्य संतों ने विवाद को ज्यादा हवा देते हुए नरेंद्र गिरी की आखिरी वसीयत के हिसाब से बलबीर गिरी को गद्दी सौंप दी।
मठ के सूत्र बताते हैं कि बलवीर गिरी ने कहा है कि जब वसीयत में मेरा नाम है, गुरू जी ने मुझे ही उत्तराधिकारी माना है, तो ऐसे में किसी भी तरह के बोर्ड या अन्य कमेटी की कोई आवश्कता नहीं है।
निरंजनी अखाडे से जुड़े एक पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि हम विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि नरेंद्र गिरी ने आत्महत्या की है। उसके बाद उनकी तीन वसीयतों का अचानक सामने आना गले से नीचे नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि बिना पदाधिकारियों के सलाह के वसीयत बनाया जाना संदेहास्पद है।
अखाड़े के कई संतों व अन्य ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अभी हम उनकी कार्यप्रणाली को देख रहे कि किस प्रकार के लोग इनसे मिलने आते हैं क्या बातें होती हैं मठ की संपत्ति और मान सम्मान को किसी भी तरह की ठेस तो नहीं पहुंच रही। वहीं क्या नया महंत आचरण को धुमिल तो नहीं कर रहा है। हम देख रहे हैं कि वह अगर कुछ ऐसा करते पाए गए तो उनके खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा क्योंकि बेशक गद्दी पर उन्हें बिठा दिया गया है परंतु मठ संतों का है। इस पर किसी का भी एकाधिकार नहीं हो सकता। वहीं हम मठ से जुड़े पुराने दस्तावेजों को भी निकलवाने की कोशिश कर रहे हैं।
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