India News (इंडिया न्यूज़),Sambhal bawadi: उत्तर प्रदेश के संभल में राजा की बावड़ी की खुदाई का काम 11वें दिन भी जारी है। खुदाई के दौरान बावड़ी की दूसरी मंजिल का गेट सामने आया है। सफाई और मलबा हटाने के बाद इस क्षेत्र तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। इससे पहले खुदाई के दौरान बावड़ी की पहली मंजिल मिली थी, जिसमें सीढ़ियां भी शामिल थीं। इससे सवाल उठने लगे हैं कि चंदोसी क्षेत्र में स्थित राजा की बावड़ी वास्तव में कितनी मंजिलों वाली है।
कुछ लोगों ने किया ये दावा
कुछ लोगों का दावा है कि बावड़ी तीन मंजिला है, लेकिन सही जानकारी खुदाई और मलबा हटाने का काम पूरी तरह पूरा होने के बाद ही पता चल पाएगी। दर्जनों मजदूर दोनों हाथों और जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल करते हुए मलबा हटाने का काम कर रहे हैं। पिछले हफ्ते 12-15 फीट खुदाई करने के बाद मजदूरों को बावड़ी की पहली मंजिल मिली थी। कल दूसरी मंजिल का पता चला। कई दशकों से गंदगी और मलबे की परतों के नीचे दबी बावड़ी में प्राचीन पत्थर की संरचनाएं और सुरंग जैसे रास्ते हैं। अब दर्जनों सीढ़ियाँ दिखाई दे रही हैं, जो बावड़ी के गहरे हिस्से तक जाती हैं। बावड़ी के अंदर एक कुएँ की तलाश भी जारी है। साइट के एक वीडियो में एक व्यक्ति को इसके मिलने के बाद दूसरी मंजिल के अंदर शंख बजाते हुए दिखाया गया है, लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी) की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। बावड़ी क्षेत्र में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है, और साइट पर मीडिया की भारी मौजूदगी है।
1720 में राजा आत्माराम ने करवाया था निर्माण
गौरतलब है कि इस प्राचीन बावड़ी का निर्माण 1720 में राजा आत्माराम ने करवाया था। खुदाई जारी रहने के साथ-साथ नई खोजें हो रही हैं, और एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम भी साइट की जांच कर रही है। माना जाता है कि बावड़ी करीब 300 साल पुरानी है। अब तक खोजे गए लिंटल की हालत खराब है, जो संभवतः असामाजिक तत्वों द्वारा की गई तोड़फोड़ के कारण है। एक दर्जन से अधिक सीढ़ियाँ मिली हैं, और उम्मीद है कि आगे की खुदाई में एक कुआँ भी मिलेगा। स्थानीय प्रशासन और पुलिस हाई अलर्ट पर हैं, जो साइट की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।
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लक्ष्मणगंज में खुदाई का काम 11वें दिन भी जारी
फिलहाल मुस्लिम बहुल इलाके लक्ष्मणगंज में खुदाई का काम 11वें दिन भी जारी है। दूसरी मंजिल के गलियारों से मलबा हटाने का काम जारी है। एएसआई की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया है और फोटो व वीडियो लिए हैं। माना जाता है कि इस बावड़ी का इस्तेमाल मूल रूप से पानी जमा करने और सैनिकों के आराम करने के लिए किया जाता था। बावड़ी की दीवारों पर अभी भी नमी के निशान दिखाई देते हैं, जो इस बात का संकेत है कि कभी यहां पानी रहा होगा। बावड़ी की संरचना प्राचीन काल की है। बताया जाता है कि यह तीन मंजिला संरचना है और इस स्थल से करीब 150 मीटर की दूरी पर एक प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।