India News (इंडिया न्यूज), Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुए हिंसक घटनाक्रम ने पूरे इलाके को दहला दिया। हिंसा के बाद से प्रशासन ने कई सवालों के जवाब तलाशने शुरू कर दिए हैं, जिनमें एक बड़ा सवाल यह है कि भीड़ जामा मस्जिद के पीछे से कैसे पहुंची? इसके अलावा, उपद्रवियों के पास तमंचे कहां से आए और उनका इस्तेमाल क्यों किया गया, ये भी प्रमुख सवाल हैं। पुलिस ने इस घटना से संबंधित वीडियो और फुटेज का विश्लेषण किया है, जिसमें उपद्रवियों के हाथ में ईंट-पत्थर और तमंचे दिखाई दे रहे हैं। कुछ उपद्रवियों ने मुंह पर कपड़ा बांध रखा था और वे खुलेआम फायरिंग कर रहे थे।
इस घटना के बाद से प्रशासन की तरफ से कई कड़ी कार्रवाई की गई है। बुधवार को पुलिस ने हिंसा में शामिल उपद्रवियों के पोस्टर जारी किए, जिनमें अधिकतर लोग 20 से 30 साल की उम्र के थे। पुलिस ने यह भी बताया कि हिंसा में नाबालिग और महिलाएं भी शामिल थीं, हालांकि उनके पोस्टर जारी नहीं किए गए हैं। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि वीडियो में यह भी साफ दिखाई दे रहा है कि कोई भी व्यक्ति जिसने भीड़ में शामिल होने के बाद हिंसा को बढ़ाया, उसे रोका नहीं गया।
जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा में बिजली विभाग को भी नुकसान हुआ। तार जलने के कारण बिजली सप्लाई में बाधा आई और विभाग ने इस नुकसान का आकलन करते हुए रिपोर्ट तैयार की, जिसमें दो लाख रुपये के नुकसान का जिक्र किया गया। अब पुलिस ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की है।
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अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। प्रशासन ने पेट्रोल पंप संचालकों को चेतावनी दी है कि वे बोतल में पेट्रोल नहीं बेचें। यदि किसी पंप पर ऐसा पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, बवाल वाले इलाकों में सड़कों पर रखी गई ईंटों को भी हटवाया गया।
राजनीतिक दलों से जुड़ी गतिविधियों पर भी प्रशासन की नजर बनी हुई है। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष तौकीर अहमद और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं को नोटिस दिए गए हैं, क्योंकि प्रशासन को संदेह है कि उन्होंने माहौल खराब करने में भूमिका निभाई है। साथ ही, कुछ नेताओं के खिलाफ निगरानी भी रखी जा रही है।
संभल हिंसा के कारणों की जांच तेज हो गई है, और प्रशासन का लक्ष्य यह है कि उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई की जाए। डीएम ने आदेश दिया है कि जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई उपद्रवियों से ही की जाएगी। साथ ही, जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद पर कोर्ट में सुनवाई होनी है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में वाद दायर किया है, जिसमें मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर होने का दावा किया है। इस मामले में कोर्ट कमिश्नर सर्वे रिपोर्ट पेश करेंगे, जो इस विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस हिंसा को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले में जो गतिविधियां हो रही हैं, वे समाज में विश्वास को कमजोर कर रही हैं। संभल की हिंसा ने कई सवाल उठाए हैं, और प्रशासन की ओर से इन सवालों के जवाब खोजने की प्रक्रिया लगातार जारी है।
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