India News (इंडिया न्यूज), UP Loudspeaker News: धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। HC ने अपने फैसले में कहा है कि धार्मिक स्थल पर नमाज के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना किसी का कानूनी अधिकार नहीं है, जबकि इससे दूसरे लोगों को परेशानी हो सकती है। इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार नहीं कहा जा सकता।

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लाउडस्पीकर अधिकार का विषय

बता दें कि HC ने पीलीभीत के मुख्तियार अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने मस्जिद पर दोबारा लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने कहा है कि पूजा स्थल मुख्य रूप से ईश्वर की प्रार्थना के लिए होते हैं और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल अधिकार का विषय नहीं हो सकता। खासकर तब जब इस तरह के इस्तेमाल से आस-पास रहने वाले लोगों को परेशानी होती हो।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता मुख्तियार अहमद ने मस्जिद से अजान देने के लिए लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत मांगी थी, तो वहीं सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता न तो मस्जिद का मुतवल्ली है और न ही मस्जिद उसकी है। इसको लेकर HC ने अपने फैसले में कहा कि धार्मिक स्थल ईश्वर की पूजा के लिए होते हैं। इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार नहीं माना जा सकता।

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योगी सरकार की लाउडस्पीकरों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई

कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दाखिल करने का ‘लोकस’ (किसी व्यक्ति या संस्था का किसी कानूनी कार्रवाई में भाग लेने या केस दर्ज करने का अधिकार) नहीं है। मई 2022 में हाईकोर्ट ने कहा था कि अब कानून में यह प्रावधान कर दिया गया है कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर बजाना मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी जा सकती। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बनने के बाद मस्जिदों समेत सभी धार्मिक स्थलों पर तेज आवाज में बजने वाले लाउडस्पीकरों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई थी, जिसके तहत तय मानकों के आधार पर या तो उन्हें हटा दिया गया या फिर उनकी आवाज कम कर दी गई।