India News (इंडिया न्यूज़), UP News: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर एक नई रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। जहां वह PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक-मुसलमान का फार्मूला लेकर आगे बढ़ रहे हैं तो वहीं अपनी MY वाली पुरानी छवि से भी बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव अब हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा को टक्कर देने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए उनकी तरफ से लगातार ऐसे संकेत भी दिए जा रहे हैं जो उनका हिंदुत्व की ओर झुकाव प्रदर्शित करते हैं। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है, अखिलेश यादव हिन्दुत्व के एजेंडे का सहारा लेकर दलित पिछड़ों को एक करके अपनी ओर लाना चाहते हैं।
बीते दिनों कई ऐसे कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जिसमें समाजवादी पार्टी की ओर से हिंदुत्व वाली तस्वीर नजर आई। पहले जहां अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत के लिए सीतापुर के नैमिषारण्य तीर्थ स्थल को चुना। जो की हिन्दू धार्मिक स्थल है। वहीं अब ऐसा बताया जा रहा है अखिलेश यादव ने लोकसभा की कुछ महत्वपूर्ण सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा के लिए नवरात्रि का मुहूर्त चुना है। इसके अलावा ऐसी जानकारी मिल रही है कि अगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी साइकिल यात्रा शुरू करने जा रही है। जिसकी अगुवाई खुद अखिलेश यादव करेंगे। इस साइकिल यात्रा के लिए भी शुभ मुहूर्त खोजा जा रहा है यानी यहां पर भी हिंदुत्व का संदेश देने की कोशिश रहेगी।
राजनीतिक जानकारों का इस मुद्दे पर ऐसा मानना है, अखिलेश यादव को अगर भाजपा को चुनौती देना है तो उन्हें अपना जनाधार बढ़ाना ही होगा क्योंकि उनके MY समीकरण को देखते हुए वह प्रदेश में इतना बेहतर नहीं कर पा रहे कि भाजपा को हराया जा सके। बीते 2022 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा देखने को मिला जहां समाजवादी पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अकेले करीब 32% वोट हासिल किया लेकिन इसके बावजूद वह भाजपा की आधी सीटें भी नहीं जीत पाई। मतलब साफ है कि भाजपा को हराने के लिए समाजवादी पार्टी को उनके परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी करनी पड़ेगी।
साथ ही जो दलित पिछड़ों का वोट भाजपा की तरफ हिंदुत्व के नाम पर जा रहा है उसे रोकना होगा। इसी वोट को भाजपा से अपने पाले में लाने के लिए अखिलेश यादव अब हिंदुत्व की छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पहले भी अखिलेश यादव को मंदिरों में दर्शन पूजन करते देखा गया तो वहीं अब समाजवादी पार्टी की तरफ से बड़े आयोजनों में भी हिंदुत्व वाला चेहरा दिखाई पड़ता है। मतलब साफ है कि अखिलेश यादव भी जानते हैं कि भाजपा को अगर हराना है तो हिंदुत्व के मुद्दे पर उसे चुनौती देनी ही होगी। यह तब ही संभव है जब उनकी MY वाली छवि में परिवर्तन आए।
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