India News UP(इंडिया न्यूज), UP News: उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग विभिन्न देशों में मंकी पॉक्स के मरीज मिलने के बाद सावधान हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में भी इसके संक्रमण की आशंका जताई है। ऐसे में प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सचेत करते हुए दिशा निर्देश जारी किया है। इसके तहत सभी एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव रंजन कुमार ने निर्देश दिया है कि पॉइंट्स ऑफ एंट्री वाले सभी जिलों में एक चिकित्सा इकाई का चिन्हीकरण रेफरल इकाई के रूप में किया जाय। ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित अस्पताल में मरीज भर्ती किया जा सके। अस्पताल में भर्ती संबंधी सभी व्यवस्था हो। इसी तरह जिलेवार प्रभारी व नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। भूमि सीमाओं, हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर अंतर्राष्ट्रीय यात्री हेल्थ डेस्क प्रतिष्ठित कर बुखार, अत्याधिक कमजोरी तथा अज्ञात कारणों वाले, दाने वाले मरीजों की जांच की जाएगी। प्रदेश में नेपाल बॉर्डर के जिलों में विशेष निगरानी की जाएगी।
सभी जिलों में 21दिनों में मंकीपॉक्स के पुष्ट अथवा संभावित रोगी की सूचना वाले किसी देश में यात्रा कर आने वाले की भी स्क्रीनिंग की जाएगी। यदि किसी में लक्षण मिलता है तो उसकी केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच कराई जाएगी। सैंपल भेजने के लिए भी अलग से टीम बनाने के निर्देश हैं। संदिग्ध मरीजों के बारे में तुरंत प्रदेश मुख्यालय पर बनी राज्य सर्विलांस इकाई को सूचित किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर से निर्धारित दल के द्वारा एंबुलेंस के माध्यम से संदिग्ध रोगियों को चिन्हित अस्पतालों आइसोलेशन में भेजा जाएगा।
यदि किसी में मंकी पॉक्स की पुष्टि होती है तो कोविड की तर्ज पर अन्य गतिविधियां चलाई जाएंगी। रोगी के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की सूची तैयार कर जिला व राज्य स्तरीय सर्विलांस इकाइयों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ताकि संदिग्ध रोगी में मंकी पॉक्स की पुष्टि होने की स्थिति में तत्काल आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।
शरीर पर दाने, बुखार और लसिका ग्रंथियों में सूजन मंकीपॉक्स के मुख्य प्रारंभिक लक्षण हैं। ये लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक बने रह सकते हैं। रोग की मृत्यु दर 1-10 फीसदी के बीच हो सकती है। मनुष्यों में मंकीपॉक्स रोग पशुओं अथवा अन्य संक्रमित मनुष्यों से आ सकता है। इस रोग का वायरस ब्रोकन स्किन (प्रदर्शित ना होने पर भी), श्वसन पथ, अथवा श्लेश्मिका झिल्लियों (आंख, नाक, या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए गए कपड़ों, बिस्तर, तौलिए, वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सतहों पर मंकी पॉक्स वायरस कुछ समय तक बना रह सकता है। वायरस गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में तथा जन्म के दौरान या उसके बाद त्वचा से संपर्क से या मंकी पॉक्स से संक्रमित माता-पिता से निकट संपर्क के द्वारा शिशु में भी फैल सकता है।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश मंकी पॉक्स से निपटने के सभी इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। जिलों के एंट्री प्वाइंट पर मरीजों की स्क्रीनिंग होगी। रोगियों का चिन्हीकरण, सैंपल कलेक्शन तथा उपचार के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर (18001805145) जारी किया गया है। यह सारी व्यवस्थाएं एहतियात के तौर पर की जा रही हैं। कोई व्यक्ति विदेश से आया है या किसी में लक्षण है तो तत्काल जांच कराएं।
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