India News (इंडिया न्यूज), Lucknow: रविवार को लखनऊ के राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल में देशभर के विद्युत संगठनों की पंचायत में निजीकरण के विरोध में बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान हुआ। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की बिडिंग प्रक्रिया शुरू होते ही विद्युत कर्मियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन का संकल्प लिया।
ऊर्जा मंत्री पर साधा निशाना
पंचायत के दौरान वक्ताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण रोकने की गुहार लगाई। ऊर्जा मंत्री और प्रबंधन पर निजी कंपनियों से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया। वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के बिजली कर्मियों ने पिछले सात वर्षों में एटी एंड सी हानियों को 41% से घटाकर 17% तक ला दिया। अगले साल तक इसे 12% तक लाने का दावा किया गया।
हर जिले में रथ यात्रा और पंचायत की योजना
पंचायत में तय किया गया कि सभी 42 जिलों में निजीकरण के विरोध में रथ यात्रा निकाली जाएगी और बिजली पंचायत का आयोजन होगा। संघर्ष समिति ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी का उत्पीड़न हुआ, तो इसका तीखा जवाब दिया जाएगा। नेताओं ने ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण की विफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि यह न उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी है और न कर्मचारियों के लिए। उन्होंने पुराने समझौतों का हवाला देकर निजीकरण की प्रक्रिया को अनुचित बताया।
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बिजली कर्मियों ने दिया ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा
पंचायत में कर्मियों ने “बटेंगे तो बिकेंगे, एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारों के साथ विरोध दर्ज कराया। आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री से निजीकरण रोकने की अपील के साथ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। इस पंचायत में बिजली के निजीकरण पर सरकार और जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह सवाल अब हर उम्र और वर्ग के लोगों का है।