India News (इंडिया न्युज)Martand Singh, Lucknow/Uttar Pradesh : 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। सभी दल गठबंधन से लेकर सीट शेयरिंग तक के मुद्दों पर बड़ी बारीकी से मंथन कर रहे हैंं। सत्ता पक्ष को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया नाम से अलग कुनबा बनाया है। इंडिया खेमे में उत्तर प्रदेश से फिलहाल समजवादी पार्टी और आरएलडी शामिल है। विपक्षी एकजुट वाली इंडिया की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस यूपी में 21 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
अखिलेश ने भी बीजेपी को हराने के लिए किसी हद तक जाने की बात कही है। मगर क्या कांग्रेस की डिमांड पर वह दरियादिली दिखाएंगे। यूपी में हुए पिछले चार बड़े चुनावों को देखें तो 21 सीटों पर दावा करने वाली कांग्रेस की हालत लगातार कमजोर रही है।
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और सपा ने उत्तर प्रदेश में गठबंधन किया था। मगर बीजेपी की प्रचंड लहर में अखिलेश यादव और राहुल की सियासी दोस्ती कोई कमाल नहीं दिखा सकी थी। चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जमीन पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की कमी और निष्क्रियता के कारण हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से अखिलेश यादव और कांग्रेस भी उसके बाद से दो चुनावों में एक दूसरे दूर ही रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे बृजलाल खाबरी समाजवादी पार्टी से समझौते के पक्ष में नहीं थे। कहां यह भी जा रहा है कि गठबंधन का रास्ता खोलने के लिए पार्टी ने वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। अजय राय ने पद संभालते ही राहुल गांधी को दोबारा अमेठी से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है।
प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने की चर्चा को गर्म कर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को बता दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी बड़ी डील करेगी। इसके साथ ही 2009 में जीती गईं सीटों पर दावेदारी भी कर सकती है।
2009 के बाद से कांग्रेस लगातार जनाधार खोती जा रही है। 2004 के चुनाव में पार्टी को 12 प्रतिशत वोट मिले थे और पार्टी ने नौ सीटों पर जीत हासिल की थी। पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 18.25 फ़ीसदी तक पहुंच गया था। कांग्रेस को अवध क्षेत्र में सबसे ज्यादा फायदा हुआ था। अवध में कांग्रेस को 9 सीटें हासिल हुई थीं। यूपी के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को कड़ी टक्कर दी थी और 16 सीटें जीती थीं। 2009 में समाजवादी पार्टी को रूरल एरिया में 20 सीटें मिली थीं। अब कांग्रेस यूपी की बरेली, लखीमपुर खीरी, धौरहरा, उन्नाव, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फर्रूखाबाद, कानपुर, अकबरपुर, झांसी, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, महराजगंज, कुशीनगर पर दावेदारी कर रही है।
वहीं अगर समजवादी पार्टी की बात करें तो 2009 में पार्टी ने उत्तरप्रदेश में 23 लोकसभा सीटें जीती थीं। वोट प्रतिशत के मामले में भी वह कांग्रेस से आगे थी। तब कांग्रेस को 18. 25 फीसदी और समाजवादी पार्टी को 23.26 फीसदी वोट मिले थे। इसके बाद से कांग्रेस और सपा दोनों का ही प्रदर्शन लोकसभा के चुनावों में बहुत ठीक नही रहा है। 2014 के मोदी लहर में कांग्रेस 2 और समाजवादी पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई थी। तब कांग्रेस को यूपी में 7.53 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी मोदी लहर में भी 22.35 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही थी। 71 सीट जीतने वाली बीजेपी को 42.63 प्रतिशत वोट मिले थे।
2019 के चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और उसे सिर्फ 4.24 प्रतिशत वोट मिले थे। राहुल गांधी अमेठी से हार गए और यूपी में सिर्फ सोनिया गांधी ही सीट बच पाई थी। वह अपनी परंपरागत रायबरेली लोकसभा सीट से जीती और बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव लड़ने वाले समाजवादी पार्टी गठबंधन को 19.43 प्रतिशत वोट मिले थे। अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव के लिए पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का नारा दिया है साथ ही ये भी प्लान तैयार किया है कि 35 सीटों पर पीडीए के तहत तीन कैंडिडेट का नाम प्रपोज होगा, उसके बाद स्क्रीनिंग करके उमीदवार फाइनल किया जाएगा।
पिछले यानी कि 2022 यूपी के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपनी स्थिति मजबूत की जबकि कांग्रेस की हालत और पतली हो गई। 2022 में कांग्रेस उत्तरप्रदेश में सिर्फ 2.33 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी थी। विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या भी दो है अब देखना होगा की अखिलेश कांग्रेस को लेकर 2024 के चुनाव में कितनी दरियादिली दिखाते हैं। ये आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा। फिलहाल 24 अगस्त को कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय अपना पद भर ग्रहण करेंगे उसके बाद ही गठबंधन को लेकर बात आगे बढ़ेगी।
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