इंडिया न्यूज़, दिल्ली : जब से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई है कई शहरों के नाम बदले गए हैं। योगी सरकार में मुगलसराय का नाम बदलकर पंडित दिन दयाल उपाध्याय तो फ़ैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या। और भी शहरों के नाम योगी सरकार ने इसलिए बदला क्योंकि लोगों की मांग थी पूर्व में इन शहरों के नाम कुछ और थे। इन शहरों के नाम भारत के संस्कृति और सभ्यता से जुड़े हुए थे। मुगलों ने इन शहरों अक नाम बाद दिया। शहरों के नाम बदलने के क्रम में इस समय सबसे ऊपर लखनऊ का नाम चल रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी का नाम बदलकर लखनऊ से लक्षमण पूरी करने की मांग की जा रही है। लोगों का मानना है कि पहले लखनऊ का नाम लक्ष्मणपूरी था। मुगलों ने नाम बदलकर लखनऊ कर दिया। योगी सरकार से गुहार लगाई जा रही है कि लखनऊ का नाम बदलकर लक्षमणपुरी किया जाए।
लखनऊ का नाम बदलने को मजबूती तब मिली जब यहां ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उद्योगपति मुकेश अम्बानी ने शहर को पुराने नाम से पुकारा। मुकेश अम्बानी ने कहा “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट विकास का महाकुंभ है। यहां दूसरी बार आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। लखनऊ पुण्य नगरी है। लक्ष्मण की नगरी है।” तहजीब और अदब के शहर लखनऊ पहुंचकर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अपने संबोधन में मुकेश अंबानी ने लखनऊ को लक्ष्मण की नगरी बताया। बात दें, पिछले साल पीएम मोदी के लखनऊ आगमन से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने ट्वीट में ऐसा ही कुछ कहा था।
अपने ट्वीट में सीएम योगी ने पीएम मोदी के लिए लिखा था, “शेषावतार भगवान श्रीलक्ष्मण जी की पावन नगरी लखनऊ में आपका हार्दिक स्वागत-अभिनंदन”। बता दें, हाल ही में भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने भी पीएम मोदी और सीएम योगी को चिट्ठी लिख ये मांग की है कि लखनऊ का नाम बदल लक्ष्मणपुर कर दिया जाए। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, “ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को तोहफे के रूप में लखनऊ दिया था। तब से इस शहर का नाम लखनपुर या लक्ष्मणपुर था। लेकिन 18वीं सदी में मुगल नवाब असफ-उद-दौला ने इस शहर का नाम बदल लखनऊ कर दिया। देश अबअमृत काल में पहुंच गया है, ऐसे में गुलामी के हर प्रतीक को पीछे छोड़ना होगा।
ये पहली मर्तबा नहीं है कि लखनऊ का नाम बदलकर लक्षमणपुरी करने की मांग की गयी है। समय -समय पर ये बात दुहराई जाती है कि इस शहर का नाम बदलकर लक्षमणपुरी किया जाए। तो जानते हैं कि इस शहर के संदर्भ में कहानियां क्या कहती हैं।पौराणिक कहानियां और किंवदंतिया क्या कहती हैं।
पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में इस शहर को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बसाया था। लखनऊ प्राचीन कौशल राज्य का हिस्सा था। लखनऊ उस इलाके में स्थित है, जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि भगवान राम ने लक्ष्मण को गोमती नदी के किनारे का ये क्षेत्र भेंट में दिया था, जिसके बाद में लक्ष्मण ने ये गोमती के तट पर ये शहर बसाया।
माना जाता है कि 11वीं सदी में इस शहर को लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना जाता था। इसमें भी भगवान राम के भाई लक्ष्मण से जुड़ाव को कारण बताया जाता है। बता दें, लक्ष्मण को उत्तर भारत में लखन भी कहा जाता है। यहां से अयोध्या मात्र 80 मील दूर स्थित है। एक और मत ये है कि यह शहर लक्ष्मण के बाद लक्ष्मणवती के रूप में जाना जाता था। यह नाम पहले लखनवती हुआ, फिर लखनौती और फिर लखनऊ हो गया।
बता दें, लखनऊ शहर के पुराने हिस्से में एक ऊंचा ढूह है. इसे लक्ष्मणटीला कहा जाता है। यहां पुरातात्विक खुदाई में वैदिक कालीन अवशेष भी मिले हैं। इसका लखनऊ जिले की सरकारी वेबसाइट www.lucknow.nic.in/history/ पर इस बात का जिक्र है। माना जाता है कि लक्ष्मणटीला पर पहले एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने तुड़वा कर वहां मस्जिद बनवा दिया।
बताया जाता है कि 12वीं सदी के अंत में कन्नौज पर अफगानों की विजय के बाद इसे गजनी के सुल्तान को सौंप दिया गया। तब यह दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बन गया।अवध ने अपनी स्वतंत्रता का दावा किया, लेकिन बाबर यहां काबिज हो गया और यह मुगलों के अधीन आ गया। इसके बाद लखनऊ जो कभी प्राचीन काल कौशल राज्य का हिस्सा था, उसे नवाबों का शहर लखनऊ कहा जाने लगा।
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