इंडिया न्यूज, प्रयागराज:
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी के निधन ने सबको सकते में डाल दिया है। बता दें कि सोमवार की रात को उनका प्रयागराज के बाघंबरी गद्दी में निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिस कारण हत्या की आशंका जताई जा रहीे हैं। उधर नरेंद्र गिरी के निधन मामले में सीबीआई जांच की मांग की जा रही हैै। वहीं सवाल उठ रहे है कि नरेंद्र गिरी की मौत के पीछे शिष्यों से विवाद के साथ-साथ मठ की संपत्तियों से तो नहीं है।

मठ संपत्ति का जिक्र…

प्रयागराज के अलावा नोएडा में कई एकड़ जमीन है। अगर उनकी कीमत की बात की जाए तो अरबों में है। संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर से भी करोड़ों की आमदनी मठ को होती है। सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि मूल तौर पर नरेंद्र गिरी का उनके शिष्य आनंद गिरी में खटपट हुई। आरोप लगा था कि नरेंद्र गिरी ने कई बीघे जमीन बेचकर सारा रुपया अपने रिश्तेदारों को दे दिया।  नरेंद्र गिरी निवासी प्रयागराज पहली बार 2015 विवादों में आए थे। मामला सचिन दत्ता नाम के एक कारोबारी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने से जुड़ा था। विवाद की वजह से इनसे महामंडलेश्वर की उपाधि ले ली गई।
उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र गिरि के करीबी शिष्य और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरी ने 17 नवंबर, 2019 को सुसाइड कर लिया था। आशीष गिरी को इस बात से आपत्ति थी कि जमीन क्यों बेची जा रही है। इस तरह की तकरार के बीच आशीष गिरि ने ऐसा कदम उठाया था। नरेंद्र गिरी पर आरोप था कि 2011 और 2012 में बाघंबरी गद्दी की जमीन सपा के एक पूर्व विधायक को बेची गई थी। आनंद गिरी को भी इस बात पर भी आपत्ति थी कि बड़े हनुमान मंदिर के चढ़ावे के बारे में स्पष्ट कुछ नहीं बताया जा रहा में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। मठ की जमीनों को बेचकर उससे मिले पैसे का उपयोग व्यक्तिगत हित साधने में किया जा रहा है।

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