India News (इंडिया न्यूज), Yogi Government: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में योगी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल के एक बयान ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। मंत्री ने हापुड़ के पुलिस अधीक्षक (SP) कुंवर ज्ञानेंजय सिंह को निर्देश दिया कि नवरात्र के 9 दिनों तक एक भी मीट की दुकान नहीं खुलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई इसका पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है।
योगी सरकार के 8 साल पूरे होने के मौके पर हापुड़ पहुंचे मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने मंच से ही पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि मीट की दुकानें नवरात्र के दौरान पूरी तरह बंद रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए दो दिन में कार्ययोजना तैयार की जाए। मंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया है और भाजपा सरकार पर सवाल उठाए हैं।
Yogi Government योगी सरकार
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता दीपक रंजन ने मंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह देश संविधान से चलता है, न कि किसी मंत्री के फरमान से।” सपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि “अगर नवरात्र में मीट की दुकानें बंद करवाई जा रही हैं, तो रमजान के महीने में शराब की दुकानें क्यों नहीं बंद करवाई जातीं? यह भाजपा का दोहरा चरित्र है।”
सपा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक मामलों में भेदभाव कर रही है। पार्टी का कहना है कि अगर सरकार धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती है, तो उसे सभी धर्मों के त्योहारों पर समान नियम लागू करने चाहिए। सपा ने इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग भी की है।
उत्तर प्रदेश में कई शहरों में पहले भी धार्मिक स्थलों के पास मीट की दुकानों को बंद करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। हालांकि, पूरे जिले में इस तरह की पाबंदी लगाने का मामला विवादास्पद हो सकता है। भारत का संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यापार करने के अधिकार की गारंटी देता है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार इस आदेश को कैसे लागू करती है और क्या इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
मंत्री कपिल देव अग्रवाल के आदेश से मीट विक्रेताओं और राजनीतिक दलों में असंतोष बढ़ गया है। जहां भाजपा इसे धार्मिक आस्था का सम्मान बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान के खिलाफ और भेदभावपूर्ण नीति मान रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले पर कायम रहती है या बढ़ते विरोध के कारण इसमें कोई बदलाव करती है।
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