India News UP(इंडिया न्यूज़),UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब जिलाधिकारी (डीएम) और मंडलायुक्त (कमिश्नर) की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में उनके कार्यक्षेत्र में हुए निवेश और आर्थिक प्रगति को भी शामिल किया जाएगा। इस नए नियम के अनुसार, अधिकारियों की ग्रेडिंग उनके क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों पर आधारित होगी।

बनाया गया डीएम का पद

ब्रिटिश शासन के दौरान, 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने राजस्व बढ़ाने के लिए डीएम का पद बनाया था। आजादी के बाद से डीएम का काम मुख्यतः कानून-व्यवस्था बनाए रखना और विकास कार्यों पर ध्यान देना रहा है। लेकिन अब योगी सरकार ने डीएम और कमिश्नर के लिए ‘रेवेन्यू फर्स्ट’ को प्राथमिकता बनाने का फैसला किया है, जिससे राजस्व और निवेश एक महत्वपूर्ण कार्य बन गया है।

होंगे रोजगार के अवसर पैदा

इस बदलाव के पीछे उद्देश्य यह है कि जिले में नए उद्योग स्थापित हों, और अधिक रोजगार के अवसर पैदा हों। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में विकास और रोजगार बढ़ाने के लिए यह कदम आवश्यक है। इसके तहत, डीएम को निवेश से जुड़े कार्य जैसे एनओसी प्रदान करना, जमीनी विवादों का हल निकालना, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं को सुधारने में योगदान देना होगा।

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डीएम के काम में आएगा बदलाव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि इस नए कदम से डीएम के काम में बदलाव आएगा। उनकी नजर में निवेश का जिम्मा मुख्यतः सरकार का होता है, जबकि डीएम का काम कानून-व्यवस्था और विकास पर केंद्रित होना चाहिए। हर जिले की स्थिति अलग होती है, ऐसे में सभी डीएम के लिए एक जैसे निवेश लक्ष्य निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है। अब, यूपी सरकार के सामने चुनौती है कि इस नए मॉडल के तहत राजस्व और निवेश बढ़ाने का काम कैसे सफल बनाया जाए।

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