उत्तराखंड

उत्तराखंड जाने वाले टूरिस्ट्स के लिए बुरी खबर ! सरकार ले सकती है ये फैसला, राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी

India News (इंडिया न्यूज),Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार राज्य की आय बढ़ाने के लिए राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है। आपको बता दें कि तेजी से उभरते होम स्टे, इवेंट मैनेजमेंट, सैलून और ब्यूटी पार्लर जैसे क्षेत्रों को एसजीएसटी के तहत लाने की रणनीति की जा रही है.। यह कदम राज्य के राजस्व को मजबूत करने और कर प्रणाली को व्यापक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। पिछले दिनों CM धामी की अध्यक्षता में मितव्ययिता और राजस्व वृद्धि के लक्ष्यों पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में वित्त विभाग को एसजीएसटी का दायरा बढ़ाने की उम्मीदो पर काम करने के निर्देश दिए। इसके तहत ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई, जहां से अभी कर का संग्रहण नहीं हो रहा है।

अंकुश लगाने के लिए भी कदम उठा रही है

आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में होम स्टे और इवेंट मैनेजमेंट का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है। खासकर पर्यटन के बढ़ते प्रभाव और शादी-ब्याह के आयोजनों के चलते इन व्यवसायों का दायरा बढ़ता जा रहा है। सरकार अब इन व्यवसायों को एसजीएसटी के दायरे में लाने की उम्मीद कर रही है। इससे इन क्षेत्रों में संगठित कर संग्रहण सुनिश्चित होगा और राज्य की आय में भी वृद्धि होगी। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में व्यवसाय सक्रिय हैं, लेकिन इनमें से कई कर प्रणाली के दायरे में नहीं आते हैं। राज्य सरकार कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए भी कदम उठा रही है।

स्टाम्प शुल्क में कमी हो रही है

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वित्त विभाग केंद्र सरकार के सहयोग से 1 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित डायग्नोस्टिक सिस्टम लागू करने पर विचार हो रहा है। यह सिस्टम कर चोरी की पहचान करने में अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह एआई सिस्टम सेंसर डेटा का विश्लेषण कर गड़बड़ियों को स्वत: पकड़ने में सक्षम है। इसके माध्यम से बड़े कर चोरों पर शिकंजा कसने में सहायता मिलेगी। यह सिस्टम कर चोरी के मामलों को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होगा। राजस्व बढ़ाने के अन्य प्रयासों में सरकार किरायानामा को बढ़ावा देने पर भी विचार कर रही है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार , बैठक में यह चर्चा हुई थी कि मकान मालिक और किरायेदार के बीच लिखित किरायानामा न होने के कारण स्टाम्प शुल्क में कमी हो रही है।

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Prakhar Tiwari

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