CDS Bipin Rawat को असली श्रदांजलि, उत्तराखण्ड का ईमानदारी से हो विकास

अजीत मैंदोला
CDS Bipin Rawat देश के प्रथम सीडीएस विपिन रावत का आकस्मिक निधन देश के लिए तो बहुत बड़ी क्षति है ही, लेकिन उनके गृहराज्य उत्तराखंड के लिये बड़ा झटका है। उत्तराखण्डवासियों के लिये वे बड़ी उम्मीद थे। उत्तराखण्ड के विकास के लिये वे हमेशा चिन्तित रहते थे।

वे कहते भी थे कि ठीक से प्लांनिग हो तो उत्तराखण्ड दुनिया मे अपनी छाप छोड़ सकता है, लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि उनके गांव सेण में आज तक सड़क नही पहुंच पाई। पौड़ी मुख्यालय से 43 किमी दूर बसे सेंण गांव की सड़क को बीजेपी के चार साल में बदले तीन मुख्यमंत्री भी नही बनवा पाए।

20 साल के उत्तराखण्ड की सच्चाई (CDS Bipin Rawat)

असल मे 20 साल के उत्तराखण्ड की सच्चाई यही है। विकास के नाम पर पहाड़ को केवल ठगा गया है। आज भी सैकड़ों गांव विकास के लिये जूझ रहे हैं। सबसे ज्यादा सड़कों को लेकर हालत चिंताजनक है। चुने जाने वाले विधायक हों या सांसद एक बार चुनाव जीतते ही अधिकांश का लक्ष्य अपना विकास होता है।

कमीशन के बिना कोई काम नही होता है। 20 साल पहले राज्य के गठन के बाद से सरकार किसी की भी रही हो माफिया ही मजबूत होते गए। लंबी सूची है। जमीन माफिया, खनन माफिया, शराब माफिया, होटल माफिया इनका ही राज है।

कई जनप्रतिनिधियों के आशीर्वाद से पनप रहे माफिया (CDS Bipin Rawat)

ईमानदारी से जांच हो तो पता चलेगा अधिकांश जनप्रतिनिधियों के आशीर्वाद से माफिया पनप रहे हैं। कोटद्वार, रामनगर, हल्द्वानी, देहरादून के आसपास की नदियों में खुले आम खनन इसका सबूत है। होटल माफियाओं ने भी बिना योजना और कायदे कानूनों को ताक में रख ऐसा जाल फेला दिया कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

नेताओं के आशीर्वाद से जमीन माफिया में ओने पोने दामों में जमीन खरीदने की होड़ है। पहाड़वासी भी जमीन बेच तराई में बसने लगा।हो सकता है नए परिसीमन के बाद वोटर न होने के चलते पहाड़ में गिनती की सीटे रह जाएंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि पहाड़ का पानी और जवानी अब पहाड़ के ही काम आएगी (CDS Bipin Rawat)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अभी हाल के देहरादून दौरे पर कहा कि पहाड़ का पानी और जवानी अब पहाड़ के ही काम आएगी। प्रधानमंत्री मोदी के फैसलों से लगता है कि वह उत्तराखण्ड का ईमानदारी से विकास चाहते हैं।

उनकी महत्वकांशी योजनाएं रंग लाती दिख भी रही हैं। लेकिन सवाल फिर वही है कि उनकी सरकार के मंत्री और विधायकों की नीयत क्या साफ है? जवाब एक ही है विधायकों की नीयत साफ नही है। बीजेपी के अधिकांश विधायकों की हालत यह है कि जनता उन्हें हराना चाहती है।

प्रधानमंत्री मोदी चेहरा न हों तो आगामी चुनावों में 8 से 10 विधायक ही मुश्किल से जीत पाएंगे। क्षेत्र में रहने के बजाए अधिकांश विधायकों ने देहरादून में घर बना लिये हैं। विधायकों की सिफारिश पर राज्य सरकार काम करती है। इसी सिफारिश में ही कमीशन खाया जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता उत्तराखण्ड में बरकरार (CDS Bipin Rawat)

इसमें कोई दो राय नही है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता उत्तराखण्ड में बरकरार है। बीजेपी यदि जीती तो मोदी की वजह से ही जीतेगी। मोदी की अगुवाई में जब पिछली बार भारी बहुमत मिला था तो उम्मीद की जा रही थी पहाड़ में विकास होगा।गांव गांव तक अच्छी सड़कें बनेगी।

तेजी से विकास होगा। लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। चार साल तक सरकार के मंत्रियों में खाने कमाने की होड़ मची रही। समझ मे ही नही आ रहा था कि उत्तराखंड में कोई सरकार है भी। हालत सुधारने के लिये तीन तीन मुख्यमंत्री बदले गए।

विपक्ष की भी कमोवेश वही स्थिति रही। कोई बड़ा आंदोलन कांग्रेस खड़ा नही कर पाई।बचे खुचे नेता आपस मे लड़ते रहे। चुनाव साल में हरीश रावत को नेता के रूप में वापस भेजा गया।अब वह अकेले संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन मोदी के तिलिस्म को तोड़ना मुश्किल दिख रहा है।

प्रधानमंत्री के सात साल के कार्यकाल में उत्तराखण्ड को बड़ा महत्व दिया गया (CDS Bipin Rawat)

क्योकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात साल के कार्यकाल में उत्तराखण्ड को बड़ा महत्व दिया गया। एक समय देश की सुरक्षा से जुड़े सभी पदों पर उत्तराखण्ड का ही बोलबाला था। विपिन रावत सेना प्रमुख थे तो अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार।

इनके साथ रॉ प्रमुख अनिल धस्माना, डीजीएमओ राजेन्द्र सिंह, कोस्टगार्ड अनिल भट्ट भी उत्तराखण्ड से ही थे। यही नही प्रधानमंत्री कार्यालय में भी कुछ अफसर आज भी उत्तराखण्ड से ही हैं। यही एक सबसे बड़ी वजह है कि इन सात साल में प्रधानमंत्री मोदी की पहाड़ में लोकप्रियता कम नही हुई। पहाड़वासी इसी बात से खुश था कि सेना के सर्वोच्च पद पर उत्तराखण्ड के विपिन रावत हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी देश की सुरक्षा का जिम्मा उत्तराखण्ड दो सूरमाओं विपिन रावत ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अजीत डोभाल को दिया था। रावत और डोभाल की जोड़ी ने साबित भी किया कि वह देश के दुश्मनों को करारा जवाब दे सकते हैं। आंतरिक सुरक्षा का मामला रहा हो या सीमा का मोदी सरकार की नीतियां सफल रही। अब जबकि जोड़ी टूट गई। डोभाल के जोड़ीदार विपिन रावत का आकस्मिक निधन प्रधानमंत्री मोदी के लिये भी बड़ा झटका है।

(CDS Bipin Rawat)

प्रधानमंत्री मोदी ने ही सेना प्रमुख से रिटायर होने के बाद जनरल रावत के लिये सीडीएस का पद सृजित किया था। रावत को लेकर उत्तराखण्ड के लोगों ने भी बड़ी उम्मीदें संजोए थी। क्योंकि रावत पहाड़ का विकास चाहते थे। लेकिन आज उत्तराखंड के जो हालात हैं वह चिंताजनक ही है।

विकास के नाम पर मोदी की दो परियोजनाएं आल वेदर रोड़ और बद्रीनाथ के निकट तक ट्रेन ही हैं। बाकी गांव विकास के लिये जूझ रहे हैं। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के कोई साधन पहाड़ों में नही है। पलायन बदस्तूर जारी है।

जनरल रावत के गांव की सड़कें आधी अधूरी (CDS Vipin Rawat)

जनरल रावत के गांव की सड़क की तरह ही अधिकांश गांव की सड़कें आधी अधूरी बनी है। पौड़ी जिला जहाँ से जनरल रावत के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, यूपी के सीएम योगिआदित्यनाथ समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री आते हैं विकास के लिये तरस रहा। योगी कोटद्वार के डिग्री कालेज से पड़े हैं।

कोटद्वार की मुख्य सड़क जो दिल्ली व यूपी की बाकी जगह को जोड़ती है तहस नहस हो चुकी है।यही नही हरिद्वार को नैनीताल से जोड़ने वाली कंडी सड़क का 20 साल में कोई फैसला नही हो पाया। चुनाव के समय ही बड़ी बड़ी बातें होती रही है पर सड़क का निर्माण कोई सरकार नहीं करा पाई। पौड़ी जिले के विकास में यह सड़क बड़ी भूमिका निभाती।

(CDS Bipin Rawat)

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Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

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