India News Uttarakhand (इंडिया न्यूज),Haridwar News: प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में अखाड़ों की तर्ज पर अपने लिए अलग से अमृत स्नान समेत तमाम सुविधाएं दिए जाने की मांग कर महिला संतों ने बवाल मचा दिया है। हरिद्वार में परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर पद पर जागृत चेतना गिरि के चयन के बाद महिला संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह खास मांग की है।
परी अखाड़े की नवनियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर जागृत चेतना गिरि ने प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि पुरुष प्रधान अखाड़ों की तरह उन्हें भी प्रयागराज कुंभ में सभी सुविधाएं दी जाएं, ऐसा इसलिए क्योंकि महिला संत भी देश की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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परी अखाड़े ने किया ये दावा
प्रयागराज महाकुंभ से ठीक पहले संतों की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। इस बार खींचतान अखाड़ों के बीच नहीं बल्कि महिला संतों और सभी 13 अखाड़ों के बीच है। देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली महिला संतों की संख्या काफी ज्यादा है।
हरिद्वार, वृंदावन, प्रयागराज, वाराणसी समेत देश के कई हिस्सों में हजारों की संख्या में महिला संत हैं, लेकिन पुरुष प्रधान अखाड़ों ने कभी भी महिला संतों को सम्मान नहीं दिया। संतों के सभी 13 अखाड़ों को मिलाकर बनी अखाड़ा परिषद में भी महिला संतों के लिए कोई जगह नहीं है।
विधि-विधान से आचार्य महामंडलेश्वर की नियुक्ति
ऐसे में महिला संतों ने भी अपने परी अखाड़े के लिए आचार्य महामंडलेश्वर पद पर एक महिला संत का अभिषेक किया है, जिससे एक नई चर्चा शुरू हो गई है। हरिद्वार के भूपतवाला स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार और पूरे विधि-विधान के साथ आचार्य महामंडलेश्वर का अभिषेक किया गया।
‘महाकुंभ में परी अखाड़े को मिले सम्मान’
परी अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवता का कहना है कि उनके अखाड़े को 14वां अखाड़ा नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि अन्य सभी अखाड़ों की तरह उन्हें भी महाकुंभ में पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। परी अखाड़े की प्रमुख का कहना है कि वह किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती हैं। परी अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवता के अनुसार, “वह पूरे देश में भ्रमण कर सभी महिला संतों को परी अखाड़े में शामिल करेंगी और सुनिश्चित करेंगी कि महिला संतों को उनका हक मिले।”
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