India News (इंडिया न्यूज़), Uttarakhand, देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला कस्बे में विवाद के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं। बाजार में फिर से रौनक लौट रही हैं। तनाव के बाद जो मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर-दुकानें छोड़कर चले गए थे वह भी लौट रहे हैं। बताते चलें कि अब तक 10 परिवार लौट आए हैं।
धारा 144 लगाई गई
पुरोला में नाबालिग को भगाने के प्रयास की घटना के बाद तनाव बढ़ गया था। हिंदू संगठनों ने महापंचायत का ऐलान किया तो तनाव की आंच दूसरे कस्बों तक भी पहुंची। नौगांव, बड़कोट समेट पुरोला बाजार बंद हुए। पुलिस-प्रशासन हरकत में आया और धारा-144 लागू कर दी।
22 दुकान खुले
बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। जगह-जगह बैरिकेड्स लगा दिए गए। हाईकोर्ट ने भी दखल दिया और आखिर में महापंचायत नहीं हुई। अब हालात सामान्य होने पर मुस्लिम समुदाय के करीब 22 लोगों ने अपनी दुकानें खोल ली हैं। वहीं पुरोला छोड़कर गए 16 परिवारों में से 10 लौट आए हैं।
क्या था पूरा मामला?
26 मई के दिन दो लड़को उबैद और जितेंद्र सैनी को स्थानी लोगों ने एक नाबालिग लड़की के साथ पकड़ा था। ये आरोप था कि वह लड़की को भगाने की कोशिश कर रहे थे। जिसकी खबर लगते ही स्थानीय लोगों ने उन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों लड़के नजीबाबाद के रहने वाले हैं और गद्दे की दुकान पर काम करते थे। जिसे लेकर मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ लव जिहाद के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया गया।
कुछ दिनों के बाद, संगठनों ने कई इलाकों में विरोध किया और पुरोला में मुस्लिम दुकानों और घरों पर हमला किया। इसके अलावा, 15 जून को, देवभूमि रक्षा संगठन के नाम से मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों के शटर पर नोटिस चिपकाए गए थे, जिसमें धमकी दी गई थी कि वे महापंचायत से पहले परिसर खाली कर दें या गंभीर परिणाम भुगतें। हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी वकील चंद्रशेखर रावत ने याचिकाकर्ता से नोटिस मिलने और आज सुनवाई की पुष्टि की। हालात को देखते हुए पुरोला में 14 मई से 19 मई तक धारा 144 लागू की गई थी।
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