इंडिया न्यूज़, दिल्ली : उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों से भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा सड़क पर उतरे हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता बरतने को लेकर सरकार के विरुद्ध बिगुल फूंक चुके है। प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर पुलिस ने जमकर लाठी भी भांजी थी। पुलिस के लाठीचार्ज में छात्रों को गंभीर चोटें भी आई थी। पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज और सरकार पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत भी बीते शुक्रवार सड़क पर उतरे थे जिस दौरान वो बेहोश होकर जमीं पर गिर पड़े थे।
प्रदेश में मचे घमासान पर पूर्णविराम लगाते हुए आखिरकार उत्तराखंड के राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने नकल विरोधी कानून’ अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की अनुमति के बाद नकल विरोधी कानून पूरे प्रदेश में लागू हो गया है। राज्य में नकल विरोधी कानून के लागू होने के बाद CM पुष्कर सिंह धामी ने खुशी जताई है। राज्यपाल के फैसले में सीएम ने कहा है कि बहुत दिनों से हम नकल पर ठोस कठोर कानून लाने की तैयारी कर रहे थे।
उत्तराखंड में नकल किया तो खैर नहीं
बता दें, राज्यपाल द्वारा नक़ल विरोधी कानून लाने के बाद प्रदेश में अगर कोई नकल करते वक्त पकड़ा जाता है तो वह अगले 10 वर्षों तक किसी भी परीक्षा में हिस्सा नहीं ले पाएगा। नकल करवाने पर अगर कोई शख्स पकड़ा जाता है तो उसे 10 साल की कैद और उसकी सारी संपत्ति कुर्क होगी। साथ ही उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार शाम को एक बयान जारी करते हुए कहा है कि, आगामी 12 फरवरी को होने जा रही पटवारी लेखपाल परीक्षा व अन्य सभी भर्ती परीक्षाएं नए कानून के तहत ही आयोजित होगी। सरकार और बेरोजगार संघ की बीच मांगों पर सहमति बन गई है।
नया नकल विरोधी कानून सभी भर्ती परीक्षाओं में लागू
सीएम धामी ने नकल मुद्दे पर बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि, प्रदेश में अब जितनी भी भर्ती परीक्षाएं होंगी, उन सभी परीक्षाओं में नया नकल विरोधी कानून लागू होगा। इस नक़ल विरोधी कानून में जुर्माने और सजा का बहुत कठोर प्रावधान किया गया है। सबसे सख्त कानून जो हो सकता है, उसे सरकार ने बनाने का कार्य किया है। नक़ल कानून के तहत आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा दस करोड़ रुपए तक के जुर्माने के प्रावधान शामिल किए गए हैं।