तवायफों के कोठे पर संगीत, शायरी, और अदब का संगम होता था। इन महफिलों में मशहूर गायक, कवि, और कलाकार शामिल होते थे, जिससे कोठों की रौनक बढ़ती थी।
अमीर तवायफों के कोठों पर छोटे फव्वारे और पानी वाले पूल बनाए जाते थे, जहां तवायफें वक्त बिताती थीं। यह उनकी शानो-शौकत का प्रतीक माना जाता था।
उन दिनों गर्भधारण से बचने के लिए तवायफें पपीता और पाइनएप्पल जैसे फलों का इस्तेमाल करती थीं, जो उनके लिए एक सामान्य उपाय था।
पान खाना और खिलाना तवायफों के शौक में शामिल था। इसे खास तरीके से तैयार किया जाता था और यह महफिलों की पहचान था।
तवायफें महंगी और विशेष प्रकार की शराब पीती थीं। इसे कभी अपने कद्रदानों के साथ और कभी अकेले भी इस्तेमाल करती थीं।
कोठों पर शीशमहल नामक सुंदर और आलीशान कमरा होता था। यह कोठे का सबसे खास हिस्सा था, जहां तवायफें खास महफिलें सजाती थीं।
कोठों पर दौलत और अय्याशी की नुमाईश साफ दिखती थी। महंगे कपड़े, आभूषण और सजावट इसका हिस्सा होते थे।
संगीत और अदब की दुनिया के साथ-साथ कोठों पर अय्याशी और ऐश्वर्य का अनोखा मेल देखने को मिलता था, जो इन्हें खास बनाता था।