महाराजा भूपिंदर सिंह को भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने रणजी ट्रॉफी शुरू करवाई थी, हालाँकि उन्हें पोलो खेलना अधिक पसंद था।
महाराजा ने "पटियाला पैग" को लोकप्रिय बनाया, जो अब एक प्रसिद्ध पेग साइज के रूप में जाना जाता है।
महाराजा सुंदर महिलाओं से विवाह करने के शौकीन थे। उनके हरम में 350 रानियाँ थीं, जो विभिन्न देशों से चुनी गई थीं। उनकी खूबसूरती बनाए रखने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे।
हरम की महिलाओं के लिए विशेष स्पेशलिस्ट नियुक्त किए गए थे, जो उनके कपड़े, आभूषण और मेकअप की देखभाल करते थे।
उनकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए प्लास्टिक सर्जन भी लगाए गए थे, जिनमें अंग्रेज, फ्रांसीसी, और भारतीय विशेषज्ञ शामिल थे।
महाराजा भूपिंदर सिंह गर्मियों में नहाते समय तालाब के चारों ओर रानियों को नग्न अवस्था में खड़ा रखते थे।
महाराजा भूपिंदर सिंह एक दिन में लगभग 10 किलोग्राम भोजन करते थे। उनके लिए विशेष औषधियाँ तैयार की जाती थीं, जिनमें मोती, सोना, चाँदी आदि का इस्तेमाल होता था।
किताब "फ्रीडम एट मिडनाइट" के अनुसार, उनकी ताकत का राज एक विशेष फॉर्मूला था, जो गाजर और गौरैया के दिमाग से तैयार होता था।
पुरस्कार और पोलो प्रेम: महाराजा ने अपने पोलो खेल में जीते हुए कपों से एक पूरा कमरा भर रखा था, जो उनके पोलो प्रेम को दर्शाता है।